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Monday, March 2, 2009

बातों ही बातों में.....................

बातों में ही जीते,

बातों में ही मरते,

बातों में जो कहती वो,

बातों में वो ही करते,




बातों से ही बातें बनती,

बातों से ही बातें बिगडती,

बातों से ही मुझपे मरती,

बातों से ही मुझसे जलती,


बातों से ही प्यार था,

बातों से ही इजहार था,

बातोंसे ही दीदार था,

बातों से ही इनकार था,



बातों में ही दिन होता,

बातों में ही रात होती,

बातों में ही सोते हम,

बातों में ही जगते हम,



बातों का क्या?

बातें तो बातें हैं,

कभी तो खुशी,

कभी तो गम देती,



बातें करूंगा सभल कर,

बातें करूंगा अमल कर,

बातों ने ही दूर किया ,

बातों ने ही मजबूर किया,



बातों ने ही फासला दिया,

बातों ने ही सवाल किया ,



बातों में क्या था?

बातों पे मैं क्यों मरता था?

बातों पे मैं क्यों जीता था

बातों पे इतना यकीन क्यों करता था?

4 comments:

राज भाटिय़ा said...

भाई आप की बाते बहुत मन भावन लगी.
धन्यवाद

mehek said...

sundar bhav

रंजना said...

बातों बातों में रचना के माध्यम से लुभावनी बातें कह डाली आपने....

Shikha Deepak said...

बातों बातों में कितना कुछ कह डाला आपने।