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Saturday, March 28, 2009

रचना जी , बिजली अपने आप गायब हो गयी ....हमें तो कुछ न करना पड़ा ...एक घण्टे के बजाय ५ घंटे ये तो धोखा है न ?


बेमौसम बरसात से मौसम सुहाना बन पड़ा । धरती प्रहर के उत्सव के लिए हम सभी संकल्पित हो चुके थे । कि आज का प्रयास सफल हो सके ।और हुआ भी । बिना प्रयास के । शाम से बदलते मौसम के मिजाज से तेज हवाएं और बारिश की छीटा कसी के बाद अचानक लाइट के चले जाने से हाल बेहाल । 8 बजे से लाइट गयी तो वापस आने के लिए तारे तक गिनने को न दिखे । मच्छरों ने जीना हराम कर रखा । सोचा कि सोया जाय तो नींद काफूर हो गयी आंखों से । लाइट होती तो गुड नाइट बनाने के लिए आलआऊट ही जला लेते पर काश ही पर आकर रूक गये ।

हमें करने के लिए कुछ न था सब कुछ अपने आप ही हो गया । कहां हम सभी एक घंटे बिजली बचाने का रोना रो रहे थे । यहां तो बिजली चपत हुई कि आने का नाम ही नहीं ।आखिर अब जाकर ५ घंटे के बाद हम बिजली पाकर खुश हुए । कितना निर्भर हो गया है जीवन और इस के लिए बिजली । आखिरकार हमभागी देने में सफल रहे । कुछ ऐसे बीत गया ये पल।

6 comments:

ghughutibasuti said...

आपको स्विच औफ करने का कष्ट भी नहीं करना पड़ा।
घुघूती बासूती

Anil Kumar said...

भौगोलिक ऊष्मिता का सबसे कारगर उपाय तो हिंदुस्तान के बिजलीघर वालों ने ही कर डाला! वो फिरंगी तो यूँ ही बकवास करते फिरते हैं! :)

हिन्दी साहित्य मंच said...

चलो भई बिना कुछ किये ही निपट गये , ५ घंटे लाइट गयी कई जगह तो पांच दिन के लिए भी जाती है ।

Arun Arora said...

निशु जी बिजली ८.३० पर घडी कि सुईया आते ही चल बसी और हमे जनेरेटर चलाना पडा यकीन मानिये इत्ते सारे जनेरेटर चलने पर जो प्र्यावरण का नुकसान हुआ वो बिजली आने से कई गुना ज्यादा था अब कौन समझाये कि ये चोचले भारत जैसे विकाशशील देशो के लिये नही है बिजली तो बन ही रही होगी ना ्टर्बाईन तो बंद नही हुये होंगे ना फ़िर खर्चा कई गुना हुआ ना उधर बिजली बनी पर बिकी नही इधर डीजल फ़ुका ? हिसाब लगाईये देश को ये चोचला कित्ता महंगा पडा . आखे खुल जायेगी जी :)

दिनेशराय द्विवेदी said...

बिजली का उत्पादन भारत में कम है, इस कारण बिजली का सदुपयोग जरूरी है। पंगेबाज जी को तो उत्पादन के लिए बिजली चाहिए थी। पर हम रोज देखते हैं कि किस कदर बिजली का अपव्यय होता है? हमें तो अपव्यय के विरुद्ध खड़े होना चाहिए।

Anonymous said...

jin logo nae bijli jaane kae baad genrator yaa inver chalaaya unhoney is abhiyaan ko samjha hi nahin