नन्ही आशाएं ,
दृढ़ निश्चय,
कुछ करने का जज्बा,
लिए हुए,
कोशिश करता हुआ वो आदमी,
सड़को के किनारे रेंग कर चलता,
हाथ में कुछ गंदी बोतलें
और
एक छोटा झोला लिये,
मेरे सामने से गुजर जाता है ,
बस के इंतजार में खड़ा देखता हूँ उसको,
दूर से आते ,
और
सामने से दूर जाते,
कितना बेबस है,
फिर भी,
चेहरे पे एक सिकन भी नहीं ,
हां कुछ पसीने की बूँदें,
और
कचरे की बदबू के सिवा,
शरीर पर फटे कपडें
गंदे मैंले है ,
शायद न धुला होगा कई दिनों से,
कितना साहस मन में लिये,
करता है ये काम ,
पूरी लगन से ,
पूरी मेहनत से,
कितना अलग है ये ,
उन सभी से ,
जो इसके जैसे हैं,
चाहता तो न करता कुछ ,
बैठा कहीं मांगता भीख,
किसी किनारे पर ,
मिल जाता पेट पालने को कुछ न कुछ,
पर
नहीं मानी हार,
करता है प्रयास ,
जिंदगी की जंग से
और
खुद से भी।
5 comments:
ji mainkya kahu aapki kavita sab kuchh kah diya aapke baare me.
bahut-bahut sundar kavita 100% good
नीशू जी
अच्छी कविता है।
खूब लिखे और उससे ज्यादा पढे।
कविता मे शब्दो की मित्व्ययिता बेहद महत्वपूर्ण है और वो अभ्यास से ही आती है।
शुभकामनाये
good eyes to see what is happening around......:) keep seeing and writing
नन्ही आशाये
आपने कवित्ता में इंसानी मजबूत इरादों को
सहजता से उतरा है
जो सराहनीय है
हमारी शुभकामना सदा आपके साथ है
मीडिया व्यू में आपकी रचना ॰॰॰ कोशिश करता हुआ वो इंसान बहुत शानदार है॰॰॰॰ अच्छी गंभीरता से लिखी है॰॰॰ शुभकामनायें॰॰॰
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