वक़्त बदलना मुझको कभी ना रास आया।
दूर हुआ वो जो भी मेरे पास आया।।
हमको कब नफ़रत थी इस तनहाई से,
दिल में मेरे इक दिन ये एहसास आया।।
राह का तकना भूल गये इस जीवन में,
याद नहीं कब दर पे कोई ख़ास आया।
काश कि मैं भी वक्त के साथ चला होता,
दीवाना ना कहते सब बिन्दास आया।।
थम जा वक़्त अगर मुमकिन हो दो पल को,
मिलने दे एक गुज़रा लम्हा पास आया।।
वक़्त बदलना मुझको कभी ना रास आया।
दूर हुआ वो जो भी मेरे पास आया।।
प्रस्तुति- पंकज तिवारी
9 comments:
आपको व परिवार को होली पर्व की हार्दिक शुभकामनाओ .
राह का ताकना भूल गए इस जीवन में........"
बेहद खूबसूरत शेर कहा है आपने....बधाई..और आप को होली की शुभकामनाएं .
नीरज
क्या बात है भई बहुत ही सुन्दर गजल पेश है आपने हर शेर लाजवाब है ।
वक़्त बदलना मुझको कभी ना रास आया।
दूर हुआ वो जो भी मेरे पास आया।।
बहुत अच्छा लगा ये शुभकामनायें।
थम जा वक्त अगर मुमकिन हो दो पल को
मिलने दे एक गुज़रा लम्हा पास आया।
वाह क्या बात है। मजा आ गया।
bdhiya likha hai.
ग़ज़ल बहुत दिल के करीब लगी हमारी शुभ कामनाये भी साथ लेले
bahut khub hai but holi ko mat bhul jana
khoobsurat rachna ke liye badhai. holi ki shubhkaamnaon sahit.
पर अहसास जो इस गजल से पाया है
सारे तन मन की तरंग को जगाया है
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