आज रविवार होने की वजह से मूड को कुछ हल्का और मजाकिया करने के लिए ये हंसगुल्ला आपके लिए । सप्ताह भर हम लोग किसी न किसी विषयगत चर्चा मे लगें ही रहते हैं - पेशे खिदमत है ........
हंसगुल्ला-
जंगल में राजा के चुनाव के लिए मत होता है । इस बार बंदर जंगल का राजा बनता है । बंदर बहुत खुश हो जाता है यह पद पाकर । एक दिन एक बकरी के मेमने को शेर उठा ले जाता है । बकरी भागी-भागी बंदर के पास आती है । और सारा हाल बताती है ।
बंदर ( जंगल का राजा) कहता है कहां है शेर ? बकरी कहती है - अपनी मांद की तरफ गया है ? बदर और बकरी चल देते हैं मांद की तरफ।
बंदर शेर की मांद के सामने पहुंचते ही तनकर देखता है मांद की ओर फिर पेड़ पर चढ़कर अपनी कलाकारी करने लगता है ......कभी इस डाल तो कभी उस डाल कूदता फंदता है काफी देर तक । बकरी देखती रहती है ।जब कुछ समझ नहीं आता ।
फिर बकरी कहती है - महराज ऐसे में तो शेर मेरे मेमने को खा जायेगा । आप के इस उछल कूद से क्या फायदा ?
बंदर कहता है - सुन बकरी तेरा मेमना बचे या शेर उसको खा जाये मैं जो कर सकता हूँ वो तो कर रहा हूँ ।
11 comments:
हा हा हा । बंदर और कर भी क्या सकता है बेचारा । मजेदार
बहुत ही बढिया व्यंग्य.....मजेदार. वाकई कुछ ऎसा ही हो रहा है.
Sahi kaha hai kisine:
Bandar ko di haldi,
usne apne muh main mal di....
Chunav aa rahe hain dekho raja sher banta hai bandar,
waise bandar zayada ummedvaar hain abki baar.
‘‘अन्धेर नगरी चैपट राजा।’’
बन्दर जंगल का राजा होगा तो यही होगा।
शुभकामनाओं के साथ।
हा हा हा .... बहुत ही बढिया व्यंग्य.....मजेदार...!!
सही राजनैतिक चित्रण .
vah neeshooji apne to kamal kar dya bahut badia vyang hai badhai
सही वक़्त पर सही छोट दी है आप ने
व्यंग बहुत असरदार और मजेदार दोनों ही है
आनंद आ गया।
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