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Saturday, March 21, 2009

मेरी किस्मत में कहां हैं............पढ़ाई बाबू

ब्लाग लिखते पढ़ते जब भी मूड न बनता निकल जाते पास ही चाय की दुकान पर । मस्त हवा और पानी जैसी चाय पीने.........कुछ मिलता या न मिलता पर शुकून जरूर मिलता । साथ ही छोटू का हंसता चेहरा और चाय से मन प्रसन्न हो ही जाता...... ताजगी मिलती और थकान भी मिटती । छोटू की उम्र ज्यादा नहीं ९ से १० साल के करीब होगी । पहले तो ज्यादा बातें न करता था पर अब धीरे- धीरे घुल मिल गया । वैसे छोटू हंसता ज्यादा है और बोलता कम है पर अच्छा लगता है उसका यह बचपन देख .......


सुबह सोने के बाद में आज छोटू के दुकान पर पहुंच गया कोई एक दो ही और चहककड़ी वहां पर रहे होगें । मैंने आज तक नाम न पूंछा था छोटा था इसलिए छोटू ही कहता था । उससे जब नाम पूछा तो पता चला कि उसका नाम है मिथिलेश । बिहार का रहने वाला । कुछ देर बाद मैंने पूंछा कि कितने भाई तो जवाब मिला अकेला हूँ...................फिर मैंने यूँ ही पूंछा कि कितने बजे दुकान खुल जाती है ( क्योंकि मैं ११ बजे के बाद ही जाता था दुकान पर )। और रात ९ बजे बंद होती है.........खाना शायद उसकी कोई दूर की चाची बनाकर देती है ।


पढ़‌ायी के बारे में पूछा तो कुछ खास न कह सका बस इतना ही बोल सका कि मेरी किस्मत में कहा है पढ़ाई बाबू .........उस बच्चे के इस बात से सिर्फ उसकी बेबसी ही नजर आयी । घर से इतना दूर वह मात्र ५०० रूपये पर दिन रात काम करता है । ये है हमारा प्यारा भारत और हमारे भविष्य ।

4 comments:

सुनील मंथन शर्मा said...

bahut se chhotuon ki yahi kahani hai.

आलोक सिंह said...

क्या कहे ये गरीबी का आलम है , बड़ी दुर्दशा है हमारे भविष्य की .

अनिल कान्त said...

dukh to tab hota hai jab inke maalik inse bura bartav karte rahte hain

Ashok Pandey said...

अपने को देश का कर्णधार और गरीबों का तारणहार समझनेवालों को शर्म करना चाहिए। आप उस बच्‍चे की हथेलियों को गौर से देखिएगा, पानी खाने से चमड़ी तक सड़ गयी होगी।