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Tuesday, March 17, 2009

करो गलत खूब गलत काम....कहो जै भगवान.......भगवान है ही नहीं तो क्या करेगा भला ?

हमेशा जेहन में एक सवाल आता रहा है कि भगवान है कि नहीं पर मुझे कभी भी यकीन न हुआ । किसी ने कहा है ,कोई भी पूर्ण आस्तिक और पूर्ण नास्तिक नहीं होता है । मुझे यह बात समझ से परे लगी । बचपन में मां को पूजा करते देखा जो अब भी जारी है...........किसी के मुंह से सुना की गीता में कहा है कि -" कर्म ही पूजा है "........और मैंने देखा की "पूजा ही कर्म है" । कभी-कभी मुझे भी जन्मदिन ( जो की कभी आर्थिक स्थिति सही रहने पर ही सुनाया जाता था , सत्यनारायण भगवान की ) या फिर किसी उत्सव पर मजबूरन मां या बाबा के कहने पर पूजा में बैठना पड़ता था । कभी-कभी मंदिर भी जाना पड़ता था ( न जाता तो मार का डर होता था ) । सभी हाथ जोड़े और आंख मूदे कुछ देर तक शांत खड़े रहते , पता नहीं क्या गुफ्तगू करते होंगें मालूम नहीं । मैं देखता और अपने में ही हसता ।

धीरे - धीरे बड़ा होता गया और १० वीं क्लास पास किया ( इलाहाबाद से ), फिर छुट्टियों मे गांव जाना पड़ा मां ने कहा कल सोमवार है...... सुबह नहा धोकर लड्डू चढाना है भगवान को............. मैंने माना था ( आखिर मेहनत किया तो परीक्षा परिणाम वैसा ही आयेगा ) । मुझे दबे मन यह सब कुछ करना पड़ा .........फिर बारवहीं कक्षा भी मैंने पास की तो मां ने फिर इस तरह की बात की कही । मैंने साफ साफ मना कर दिया और कहा आपको जो भी करना है करिये पर मैं यह सब ढ़ोग न कर सकूँगा ( मां कुछ बुरा लगा पर उन्होंने हमेशा पूरी स्वातंत्रता दी थी अपनी बात को कहने की )। एक दोबार मां ने फिर कहा था ,कुछ ऐसे ही मेरा नकारात्मक जवाब पाकर अब कुछ भी नहीं कहती । कई बार बहस भी हुई है।

मैंने कई सवाल किये मां से जिसका कभी उत्तर न मिल सका । । आप सब के पास इनका जवाब हो तो बताइयेगा - आखिर कितनी औरतों की इज्जत लुटती है वहां क्या हो जाता है ईश्वर को ?

गरीबों को सताया जाता है आज भी गांवों में क्यों न रोक लेता है ईश्वर इस जाजती को ?
आतंकवादी हमला होता है बच्चे मारे जाते हैं , महिलाएं शिकार होती तो यहां भी चमत्कार होना चाहिए ?क्यों ऐसे लोग जिंदा है मस्ती से इनको सजा देनी चाहिए ?

इतने दुखी लोग है क्या इन सब पर दया भाव नहीं आता है ईश्वर को ? जो कि बेचारे हमेशा रोज ही मंदिर में भगवान को जपते रहते हैं। बहुत से लोगों को सुबह नहा धोकर मंदिर जाते हुए देखता हूँ मेरे लिए यह हास्यापद लगता है पर अंध विश्वास की कोई दवा नहीं है ।

पैसे भगवान के नाम पर लेकर कोई अपनी जेब गरम करता है , अगर यही उन गरीबों को मिले तो क्या बुरा है ?पर नहीं उनकी मद्द क्यों ? मैंने देखा है कि लोग रिक्शे वाले से एक रूपये के लिए झगड़ते हैं पर किसी मस्त रेश्तरां में टिप देने में वाहवाही होती है । करते हैं गलत कार्य और लेते हैं भगवान का नाम , क्योंकि डर है कहीं कुछ गलत न हो जाये इस लिए थोड़ा पालिश जरूरी है । करो पूजा जपो नाम और करो खूब गलत काम .... जै हो भगवान .. जै हो भगवान ।

कोई भी आहत हो गये हों तो माफी चाहूँगा

5 comments:

अनिल कान्त said...

mere dil aur man ki baat kah di

आलोक सिंह said...

भगवान है या नहीं इस बात की पुष्टि करना बहुत कठिन है , परन्तु एक शक्ति तो जरुर है जो इस दुनिया चला रही है . बुरे और अच्छे लोग तो खुद बनते है . अगर बुराई नहीं होगी तो अच्छाई का पता कैसे चलेगा और अगर अच्छाई नहीं होगी तो बुराई का पता कैसे चलेगा .

शब्दकार-डॉo कुमारेन्द्र सिंह सेंगर said...

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राज भाटिय़ा said...

सिर्फ़ जपते रहना, उस का नाम लेना, मंदिरो मै जाना ,शोरो मचा कर लाऊड स्पिकर लगा कर भजन गाना... अरे नही यह सब गलत है, आप अपने कर्म करो कर्म मै यह सब नही जो ऊपर लिखा है, कर्म मै आप सबकी मदद करो, सभी के दुख दरद मै काम आओ, किसी का दिल न दुखायो, किसी को ठेस ना पहुचाओ, फ़िर देखो भगवान है या नही??

Udan Tashtari said...

नीशू को टिपिया रहे हैं...जै भगवान!! अगर कहीं हो तो बचा लेना. :)