टिप्पणियां काश मिलती खूब सारी,
कविता चाहे अच्छी न हो हमारी,
करता गुजारिश सभी ब्लागरों से,
टिपियाने की अब है आपकी बारी,
पढ़ता न कोई आग्रह करने पर,
लिखता हूँ मैं कूड़ा करकट,
कहते हैं वो सब,
फिर भी मैंने ना हिम्मत हारी,
कृपया टिपियाइये अब है आपकी बारी,
मूल्य का मूल्याकंन करो,
जो लिखा चाहो तो न पढ़ो,
दिया हुआ लिंक है,
उस पर क्लिक करो,
समय कम है , मालूम है,
फिर भी भाई कुछ ही टिपियाते चलो, ,
आपका भी नाम होगा,
मेरा भी काम होगा,
आपका भी ब्लाग देखूँगा,
हो सकेगा तो कुछ टिपिया दूँगा,
इसलिए करता हूँ मेल,
चर्चा करूँगा तो होगा विवाद,
होगी बेवजह बदनामी,
गुपचुप तरीके से की तैयारी,
चलिये कीजिए टिप्पणी,
मैं भी पडूं सब पर भारी,
आयी है आपकी बारी,
काश टिप्पणी मिले खूब सारी।।
20 comments:
वाह निशू जी ॰॰॰॰॰ बहुत शानदार रचना है ॰॰॰॰॰ एक कवी की भावनाऒं का सही चित्रण किया है आपने ॰॰॰॰ अच्छी अभीव्यक्ति है॰॰॰॰ शुभकामनायें॰॰॰
भाई यह पकडॊ हमारी टिपण्णी, बिल बाद मै भेज देगे....
फिर भी भाई कुछ ही टिपियाते चलो, ,
:D
lijeeye ab ek tippani hamari..
khuub vyangy kasey ho!
एक हमारी तरफ से भी इस महायज्ञ में आहूति रुपी टिप्पणी. :)
अच्छा लिखा है आपने . टिप्पणी क्यों न मिलेगी ?
एक मेरी भी ले लीजिये.
अच्छा लिखा है आपने . टिप्पणी क्यों न मिलेगी ?
एक मेरी भी..
Achcha vyanya hai, magar sachcha vyanya hai....
anita
लो भई, टिपियाते हैं:)
लीजिए हमारी भी टिप्पणी ! बीच भीच में ऐसे ही याद दिलाते रहें तो महीने भर तो टिपियाने की याद रहेगी। :)
घुघूती बासूती
कब तक कह कह कर टिप्पणी मगोगे क्य मिलेगा इससे भूल जाओ खाओ पिओ मौज करो
यह मेरी भी टिप्पणी :) अच्छा लिखा है ..
क्या तुम मुझको टिपियाओगे?
मैं टिपिया देता हूँ ।
वाह-वाही पा लेने का यह,
पहला मौका देता हूँ।।
एक मेरी भी ले लीजिये ... बहुत बहुत बधाई ... एक मांगा अब तक 14 मिल गए हैं।
फिलहाल यह पंद्रहवीं ,आगे से समझ बूझ कर !
लो भाई हमारी भी ले लो ...अच्छा लिखा है आपने ....
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
कविता तो एक बहाना है
व्यंग से भरीवेदना है
आप कितने गुणी हो
और हमकुछ भी काबिल नहीं
पर आप कि व्यंग रचना दिल को छू गयी
वाह वाह! क्या कविता है, क्या गजब का अनुरोध है! अपने आप को रोक न सका -- टिपियाने से!!
सस्नेह -- शास्त्री
-- हर वैचारिक क्राति की नीव है लेखन, विचारों का आदानप्रदान, एवं सोचने के लिये प्रोत्साहन. हिन्दीजगत में एक सकारात्मक वैचारिक क्राति की जरूरत है.
महज 10 साल में हिन्दी चिट्ठे यह कार्य कर सकते हैं. अत: नियमित रूप से लिखते रहें, एवं टिपिया कर साथियों को प्रोत्साहित करते रहें. (सारथी: http://www.Sarathi.info)
hamari bhi ek....
अच्छा लिखा !!!
टिप्पणी क्यों न मिलेगी ?
एक मेरी भी......!!!!!
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