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Sunday, September 9, 2007

टाँय टाँय फुस्स


भारत और इग्लैण्ड के बीच खेला गया नेटवेस्ट सीरीज का फाइनल मुकाबला इग्लैण्ड के पक्ष में रहा। लॉर्ड्स एक दिवसीय क्रिकेट मैच में इंग्लैंड ने भारत की टीम को सात विकेट से हरा दिया । इसी के साथ इंग्लैंड ने सात मैचों की सिरीज़ 4-3 से जीत ली । केविन पीटरसन को मैन ऑफ़ द मैच और इयन बेल को प्लेयर ऑफ़ द सिरीज़ का पुरस्कार मिला।
भारत ने सिरीज मे ३-१ से पिछड़ने के बाद दोनों मुकाबले जीत कर सीरीज मे ३-३ की बराबरी कर सातवें मैच को रोमांचक बना दिया था। और उम्मीद यही लगायी जा रही थी ।कि भारत टेस्ट के साथ ही वन डे सिरीज पर भी कब्जा कर लेगा। परन्तु क्रिकेट अनिश्चतताओं का खेल, जिसमें की केवल वर्तमान प्रदर्शन पर ही सब कुछ निर्भर करता है। लार्डस के मैच मे भारत ने पहले खेलते हुए ५० ओवरों में मात्र १८७ रन बनाया । जिसे इग्लैण्ड ने ३६ वें ओवर मे ही जीत लिया। भारत के इस प्रदर्शन से सभी क्रिकेट प्रेमियों को गहरा झटका लगा। क्योंकि भारत की इस हार से यही कहावत याद आती है कि " पूरी नदी पार कर, किनारे पर डूब गये " । वैसे भारत में क्रिकेट को धर्म की तरह पूजा जाता है । पर विश्व कप २००७ में जिस तरह से भारत का प्रदर्शन था उससे क्रिकेट प्रमियों को ऐसा झटका लगा कि वे अब तक अपने पुराने जज्बें को हासिल नही कर पाये हैं वैसे इग्लैण्ड की सिरीज को जीत कर भारत अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा प्राप्त कर सकता था पर ऐसा करने में असफल रहा।
अगर भारत की कमियों को गिनाया जाय तो कई प्रमुख रूप से है । जैसे की फील्डिग की कमजोरी। भारत ने इस सीरीज में बहुत ही बेकार प्रदर्शन किया इस मामले में। और दूसरे नम्बर पर गेदंबाजो का प्रदर्शन भी कुछ खास नही रहा जिससे की हमें हार का मुह देखना पडा।
अब यहाँ पर यह जरूरत लगती है की भारत को एक बढिया कोच की जरूरत है जिसे इन कमियों को दूर किया जा सके या कम किया जा सके। अन्यथा अन्तरराष्टीय स्तर पर इस तरह के प्रदर्शन से टीम अपना सर्वोच्च प्रदर्शन करने में कामयाब नही हो सकती है।

2 comments:

बसंत आर्य said...

जी हां , पर सिर्फ़ कोच की ही नही कुछ और भी चीजो की जरूरत है शायद . लिकते रहिए

Udan Tashtari said...

सच में: टॉय टॉय फुस्स ही निकला!! :)