मैनें यह रिपोर्ट दुबारा से तैयार की है. कारण श्री संजय जी एवं राजीव जैन जी के कमेंट थे जिसके लिए मैने यह दुबारा प्रयास किया है और मुझे यकीन है कि मै अबकी बार कुछ हद तक कामयाब होऊगा । मै संजय जी और राजीव जैन जी का तहे दिल से शुक्रिया अदा करना चाहूगा , ऐसे ही अपनी प्रतिक्रया देते रहिए जिससे मार्गदर्शन होता रहे।
माखन लाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के नोएडा परिसर में भारतीय प्रेस परिषद के तत्वाधान में एक वाद - विवाद प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। जिसका विषय- " राष्ट्र की प्रगति में हिन्दी पत्रकारिता का महत्व" था।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में माखन लाल विश्वविद्यालय के कुलपति श्री अच्युतानंदन मिश्र जी थे। तथा अन्य गणमान्य विशिष्ट जनों में माखन लाल विश्वविद्यालय, नोएडा परिसर के प्रबंधक श्री अशोक टण्डन जी , भारतीय प्रेस परिषद के सदस्य श्री एस एन सिन्हा जी एवं वरिष्ट पत्रकार श्री राम जी त्रिपाठी जी उपस्थित थे।
इस प्रतियोगिता में कुल १२ टीमों के कुल २६ प्रतिभागीओं ने हिस्सा लिया। इन टीमों में माखन लाल विश्व विद्यालय के नोएडा परिसर , भोपाल परिसर एवं राजधानी के आस-पास के मीडिया इन्स्टीट्यूट ने भाग लिया।
इस प्रतियोगिता के प्रथम विजेता भोपाल परिसर के अंकुर विजय वर्गीय रहे। द्वितीय स्थान पर पंकज शर्मा पाइनियर इन्स्टीट्यूट नई दिल्ली तथा तृतीय स्थान पर संत राम माखन लाल विश्वविद्यालय नोएडा परिसर के रहे।
प्रथम पुरस्कार के लिए ३००० रूपये एवं द्वितीय पुरस्कार के लिए २००० रूपये तथा तृतीय पुरस्कार के लिए १५०० रूपये प्रदान किया गया तथा साथ में भारतीय प्रेस परिषद की तरफ से प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया।
एक विशेष पुरस्कार पिकीं इयान स्कूल आफ मास कम्युनिकेशन की छात्रा को मिला।
कार्यक्रम के समापन पर एस एन सिन्हा जी के शब्द-
"पत्रकारिता का एक मिशन रहा है, न कि पैसा कमाने का जरिया, परन्तु अब समय बदला आज के युवा पत्रकार अपनी प्रगतिशील सोच एवं विचार धारा से हिन्दी पत्रकारिता को नयी दिशा देगें साथ ही साथ पत्रकारिता के मानदण्ड एवं ऊचाई को बनायें रखगें".
राम जी त्रिपाठी के शब्द-
"हिन्दी पत्रकारिता का एक लम्बा इतिहास रहा है इसने ही ब्रिटिश हुकूमत की जड़ों तक को हिला दिया तथा देश को एक नये आयाम तक ला पहुँचाया".आप के क्या विचार है इस विषय पर? जरूर अवगत करायें।
1 comment:
धन्यवाद भाई इतनी इज्जत बख्शी
अच्छा लगा
कमसे कम तुमने सीखने की ललक दिखाई।
वैसे अच्छा है कुछ लिखते हो वर्ना यह दिक्कत खूब आती है जर्नलिज्म के स्टूडेंट एक या दो साल का कोर्स कर लेते हैं और कोर्स के दौरान चार लाइन तक कहीं नहीं लिखते।
बढिया है कुछ इधर उधर भी लिखने की टाई करते रहना
उज्जवल भविष्य की कामना के साथ
राजीव जैन
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