कहीं खुशी तो कहीं गम एक तरफ भारतीय क्रिकेट का नेटवेस्ट सिरीज में हारना तो दूसरी तरफ भारतीय हाँकी की एशिया कप में धूम । भारतीय हाँकी में वाकई चक हे फैक्टर आ रहा है एशिया कप फाइनल में भारत ने साउथ कोरिया को ७-२ से रौंद कर खिताब बरकरार रखा । एशियन गेम्स चैम्पियन कोरिया को भारत ने इस टूर्नामेंट में दूसरी बार हराया है।पूरे टूर्नामेंट में भारत ने लगातार सात मैच जीते, ५७ गोल किये सिर्फ ५ गोल खाये। इससे पहले भारत ने २००३ में पाकिस्तान को हरा कर एशिया कप जीता था । वर्ल्र्ड कप में भारत सेकेण्ड लास्ट यानी ११वें स्थान पर रहा, ओलम्पिक के लिए हम डायरेक्ट क्वालीफाई भी नहीं कर पाये, सैफ गेम्स में भी हम नम्बर २ पर रहे। एशियन गेम्स में भी भारत पाँचवें नम्बर पर रहा ।पिछले साल वर्ल्ड कप में दुर्गति के बाद पूर्व कप्तान जोकिम कारवाल्हो को कोच बनाया गया । जोकिम ने टीम को भरोसा दिलाया कि वे दुनिया की किसी भी टीम को हरा सकते है। उनका जोर मजबूत मिसफील्ड पर रहा इसमें सबसे बडी भूमिका सरदारा सिंह और इग्नेस टिर्की ने निभायी । ये दोनों डिफेंस के साथ भारत के अक्रामण के सूत्रधाररहे।एशिया कप फतह करने के बाद पेइचिंग ओलम्पिक के क्वालीफाइंग में आसान पूल मिलेगा, जो अगले साल होगें। भारत का डिफेंस अर्से से कमजोर था जो अब दिलीप टर्की के फिट होने के बाद मजबूत है भारत का पेनाल्टी कार्नर कनवर्जन भी सुधरा , फारवर्डलाइन को प्रभोजोत सिंह , शिवेन्द्र सिंह और तुषार खाडेकर की तिकडी ने धारदार बना दिया।
No comments:
Post a Comment