गांव की एक महिला के साथ हुए बलात्कार के बाद उसकी हत्या के मामले में अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए पंचायत के हुक्म पर राजस्थान के अजमेर जिले के बेराज गावं के पुरूषों को सरेआम नंगा होना पड़ा। अपराधी की पहचान के लिए सुबह से लेकर चले इस अभियान में १०साल से कम उम्र के सभी पुरूषों के कपड़े उतरवाये। हांलाकि पंचायत को किसी के खिलाफ सबूत नहीं मिला।जयपुर से लगभग १४० किमी दूर बोराज गांव की एक ३५ वर्षीय विवाहित महिला गीता रावत की लाश देर रात एक पहाडीपर मिली। पुलिस को संदेह था कि गीता के साथ हत्या से पहले बलात्कार हुआ था। पुलिस ने शक जाहिर किया कि अपराधी संभवतः मृतक की जान - पहचान वाला हो सकता है पुलिस के मुताबिक मृतका ने बलात्कार एवं हत्या के दौरान संघर्ष किया था ।इसीलिए पंचायत ने १५०० पुरूषों को लाईन में खड़ा कर उनके कपड़े उतरवाये ताकि शरीर पर खरोच के निशान देखें जा सके।आप ने अभी कुछ ही दिनों पहले एक मामले को सुना ही होगा जिसमें हरियाणा में एक ही गोत्र में विवाह करने पर पंचायत ने विवाहित जोड़े को भाई बहने की तरह रहने और राखी बाधने को कहा। ताथ सबसे बडी बात यह की ८ दिन के छोटे बच्चे को माँ से अलग कर दिया था। अतः पंचायत के इस तरह के फैसले कितने तानाशाही पूर्ण है तथा पुलिस भी विवश दिखी ऐसे मौके पर। अगर बात करें भारतीय संविधान की तो उसमें ऐसा कोई कानून नहीं है जो कि यह बात स्वीकारे की ऐसी शादी गलत है तो पंचायती फैसले के विरूद्द सरकार क्यो कुछ शक्त कदम नहीं उठाती है। मेरा मानना है कि यह पंचायती फैसले पूर्णतः गलत है क्योंकि राजस्थान में जिसने भी यह कुकृत्य किया हो पर सजा सब को क्यों मिल रही है ? इस पर सरकार को गम्भीरता से विचार करना चाहिए तथा इन पर अंकुश लगाना चाहिए।
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