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Monday, September 17, 2007

प्रात: काल की नव वेला मे


प्रात: काल की नव वेला मे
स्वर्णिम शान्ति का दूत बनू मै।
शान्ति सौहार्द व भाई चारा
सदा रहे सुन्दर वसुन्धरा में॥


न हथियारो से न औजरो से
न द्वेष भावना से शान्ति आयी है।
हिल मिल जुल कर रहने से
इस जग मे प्रेम भावना आयी है॥

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