जन संदेश
Tuesday, September 18, 2007
राष्ट्र की प्रगति में हिन्दी पत्रकारिता का महत्व
हिन्दी दिवस बीते अभी कुछ ही दिन हुए है । मेरे संस्थान में हिन्दी दिवस पर एक क्रार्यक्रम होना था पर किसी कारण वश यह क्रार्यक्रम आज(१८-९-२००७) सम्पन्न हुआ । माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के नोएडा परिसर में " राष्ट्र की प्रगति में हिन्दी पत्रकारिता का महत्व" वाद -विवाद प्रतियोगिता हुई। इसमें कुल १२ टीमों ने भाग लिया ।ये टीमें राजधानी के आस पास के सभी मीडिया कालेजों से आयी थी, जो माखन लाल से जुडें हुए है। इस प्रतियोगिता को प्रेस काउन्सिल आफ इण्डिया के सानिध्य से कराया गया। इस प्रतियोगता में तीन प्रतिभागी विजयी रहे।वैसे इस (" राष्ट्र की प्रगति में हिन्दी पत्रकारिता का महत्व) पर ज्यादा वाद -विवाद की आवश्यकता नहीं रही पर सभी प्रतिभागी ने अपनी बात अपने ढ़ग से कही ।वैसे हिन्दी तो हमारी राष्ट्र भाषा १९४९ में बनी परन्तु इसके पहले भी हिन्दी का वर्चस्व पूरे देश मे रहा था । चाहे १८५७ की क्रान्ति हो या फिर स्वतन्त्रता अन्दोलन इन सब में हिन्दी भाषा का महत्व पूर्ण योगदान रहा है। पर यह भी बात उतनी ही सच है कि केवल हिन्दी भाषा ही भारत में नहीं बोली जाती बल्कि अन्य भाषाओं ने भी अपना भरपूर साथ दिया । ये बात जरूर रही कि सम्पूर्ण उत्तर भारत में हिन्दी का बोलबला रहा इस वजह से ये सम्पूर्ण राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करती है। हमारे स्वतन्त्रता स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी चाहे वे माखन लाल चतुर्वेदी हो, या फिर महात्मा गांधी जी, या फिर लाला लाज पत राय जी इत्यादी लोगो नें पत्र , अखबार और जनसमूह में जाकर हिन्दी के माध्यम से जन आन्दोलन कर सके। तो इस लिए भाषा का महत्तव हमेशा रहा है और रहेगा। कुछ लोग आज दूसरी अन्य भाषा के महत्व को बताते है पर हम किसी भाषा के गुलाम क्यों बने ।जब हमारी भाषा ब्रिटिश हुकूमत की जड़ को हिला दिया तो हम भला और की तरफ नजर क्यों डालें ये तो वो करें जिसके पास अपना वजूद नही है। हमारे पास तो इतिहास है। पिछले १५० वर्षों का।वैसे जब देश आजाद हुआ तो देश को विकास के नये रास्ते को ढूढना था और इस काम आसान किया पत्रकारिता ने अपना योगदान करके। इस तरह से पत्रकारिता का अहम योगदान रहा है राष्ट्र की प्रगति में। आप के क्या विचार है इस विषय पर? जरूर अवगत करायें।
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2 comments:
यह तो आपका प्रवचन हो गया. आज के कार्यक्रम की रिपोर्ट लिखनी चाहिए थी मित्र.
भैया संजयजी की बात से सहमत हूं
कल ही सुधार करें और एडिट करें या जवाब में रिपोर्ट लिखें
इसी उम्मीद में
राजीव जैन
http://www.shuruwat.blogspot.com/
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