बात कल शाम की करना चाहता हूँ. समय ७ बजे मार्केट में सामान लेने निकला था ,साथ में चाय की चुस्कियां भी लेनी भी वापस लौट रहा था तो गली से एक बच्चे के पीछे तीन बच्चे भाग रहे थे । मैने सोचा कि खेल रहे होगे क्योंकि बहुत ही गन्दे कपड़े थे .जिसके देख कर यही लगता था कि बहुत ही नीचे तबके के है । मैं जल्द ही वहां से अपने रूम पर आगया।
बाहर बालकनी में खड़ा था मैं और सड़क पर आते जाते लोगों को देख रहा था । जिस लड़के को मैंने गली में देखा था उसको पकड़ कर एक अंटी मार रही थी , मुझे देख कर यही समझ में आ रहा था कि वे सब लोग उस लड़के पर चोरी का इल्जाम लगा रही थी । कुछ चार पांच लोग काजमवाड़ा था, तभी एक अकल जी आये और बिना कुछ पूछे ही उस बच्चे को कई थप्पड़ जड दिये और वह फिर भाग गया। उसने चोरी की थी कि नही ये पता नहीं चला ?पर ये बात जरूर थी कि वह गरीब था ,यही उसकी लाचारी थी।
किसी को मारने का हक किसने दिया है उन महाशय को । अगर उसने चोरी की भी है तो यह सजा देने कौन होते है ? और क्या वह बच्चा इससे सुधर जायेगा ?।
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भगवान
रोटरी में हम एक कहानी सुनाते है
एक बड़ा उद्योगपत्ती रोटरी सदस्य बना. समयआभाव के नाम पर वोह किसी भी समाज सेवा कार्य में आता नहीं था. उसके एक मित्र रोटरी अध्यक्ष ने उसे जब ज्यादा पीछा कीया तो उसने पूर्ण वर्ष में किसी भी एक सेवा में सहयोग देने का वायदा कीया.
एक दिन रोटरी अध्यक्ष के पास किसी औरत का फ़ोन आया कि वह गर्भवती है और उसे दर्द उठ रहे हैं. घर पर कोई नहीं है. कया वह कोई व्यवस्था कर सकते हैं.
रविवार का दिन शाम का समय कैसे व्यवस्था कि जाये यह सोचते हुए अध्यक्ष को अपने उद्योगपति दोस्त का ध्यान आया.
दोस्त को फोन पर प्रार्थना करते हुए उस ने महिला को किसी प्रसूति केन्द्र में ले जाने को कहा.
दोस्त रोतारियन को यह बड़ा सरल काम लगा. उस ने कहा कि हस्पताल ही उस के दान से बना है और वह कार लेकर महिला के घर गया.
महिला और उसकी ३-४ साल कि बच्ची को लेकर वह हस्पताल गया. महिला को चिकित्सक लेबोर रूम में ले गयी. बाहर बह बच्ची उस उद्योगपति के साथ खेल रही थी. कुछ तंग हो कर उस ने बच्ची से पूछा तो जानती है कौन हूँ मैं ?
लड़की ने कहा हाँ मैं जानती हूँ? बड़ा चकित हो कर उस ने पूछा कौन हूँ मैं ?
लड़की ने जवाब दिया तुम भगवान हो?
अरे.......... कैसे...................
क्योंकि मेरी माँ रोज प्रार्थना करते हुए कहती थी कि मुश्किल समय में भगवान आते हैं.
आज जब मेरी माँ मुश्किल में थी तो तुम आये इस लिए तुम भगवान ही हो सकते हो
और उस दिन से वह उद्योगपति पक्का समाज सेवी बन गया क्योंकि उसे लगा कि अगर उसका एक छोटा सा कार्य अगर नादाँ बच्चे से भी उसको भगवान का स्थान दिलवा सकता है तो मानव सेवा तो शायद उसे जरुर भगवान के करीब ले जायेगी
आपको घटना स्थल पर जा कर अपना विरोध दर्ज करना था. यह हर जगह देखने मिलता है मगर न जाने क्यूँ, कोई विरोध दर्ज नहीं करता.
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