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जन संदेश
Wednesday, March 12, 2008
शब्द
तुम्हारी खामोशी मुझे मौन देती है तुम्हारे दुख में भागीदार होने का । तुम्हारी उदासी हमेशा मुझमें रिक्तता छोडँ जाती है, में पूरी कोशिश करता हूँ, उस सूनेपन को भरने का। मैंने जब भी कुछ माँगा है, तुमने दिए हैं शब्द, खुद को अभिव्यक्त करने के लिए।
3 comments:
सुंदर कविता है मेरे दोस्त
aapne kam shabdo me achhe bhav dale hai . bahut pyari kavita hai.
बहुत बढ़िया रचना है. बधाई.
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