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Thursday, April 9, 2009

पटखनी खाये , दांत चियारे टाइटलर और सज्जन कुमार की औकात बता दिया जनरैली जूते ने

चुनावी दंगल में बिना लड़े ही जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार औंधें मुंह गिर गये । सीबीआई ने जब जगदीश टाइटलर को सिख दंगों में भडकाऊ भाषण से देने के आरोप में सबूत न मिलने पर बरी किया था तो किसी ने यह कल्पना तक न की होगी कि पंजा ही इनकी हार का कारण बनेगा । जनरैल सिंह का जूता इन दोनों कांग्रेसी दिग्गजों पर भारी पड़ा । गृहमंत्री भी बेचारे महौल के मिजाज को समझते हुए माफी की गुहार चिल्लाकर देते रहे । कांग्रेस जहां एक बार फिर से केन्द्र में हाथ हिला हिला कर सबका अभिनंदन करना चाहती है । ऐसे में कोई भी एक गलत कदम इस मंशा को गहरा झटका दे सकता है ऐसे में हाईकमान ने मामले को राजनीतिक दांव पेंच से दूर रखने और खुद को पाक साफ दिखाते हुए टाइटलर और सज्जन कुमार को बाहर का रास्ता दिखाना ही उचित समझा है । वैसे ये दोनों नेता इस चुनाव में भले ही नहीं लड़ेगें पर इनका राजनीतिक कैरियर अभी राज्य सभा से बचे होने के संकेत देते हैं अगर कांग्रेस की सरकार दुबारा सत्ता में आती है तब ।

अब बात जनरैल सिंह की एकाएक अचानक अपने गुस्से को काबू न कर पाने वाले पत्रकार भाई साहब ने जूता दौड़ा कर चुनावी सरगर्मियों में लू काम किया । जनरैली तूफान से सत्ता के इधर उधर जाने का खतरा दिखने लगा यूपीए को । और फिर चली कैंची टिकट पाने वाले वर्तमान सांसद पर । वैसे जनरैल सिंह का गुस्सा होना जायज है और भावावेश में जूता फेंकना भी । अगर इसी तरह सारे पत्रकार एक एक जूता फेंकें तो ऐसे राजनीतिक लोग को कुछ हद तक सबक सिखाया जा सकता है । आग है तो धुआं होगा पर सरकार के स्वामित्व वाली भारत की प्रमुख संस्था ने जगदीश टाइटलर को साफ बेदाग साबित कर दिया । जन आक्रोश पहले से ही था और बाकी का काम सीबी आई ने पूरा किया ।

टाइटलर ने पहले प्रेस कांफ्रेस में कहा था कि वो चुनाव लड़ेगे पर जब दबाव भारी लगने लगा तब बचाव में इतना ही कहते हैं कि पार्टी के लिए हम अपना टिकट वापस लेते हैं जैसे कोई महान कार्य कर दिया है । कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि अगर ये लड़ते तो भारी मतों से विजयी होते , यह अनुमान है यह भविष्यवाणी यह नहीं पता पर फिर क्यों बैठा दिया जा रहा हैं विजयी उम्मीदवार को । जगदीश टाइटलर दिल्ली सदर और सज्जन कुमार बाहरी दिल्ली से सांसद हैं और परिसीमन के बाद टाइटलर पूर्वोत्तर दिल्ली और सज्जन कुमार दक्षिणी दिल्ली से उम्मीदवार थे ।

वैसे कांग्रेस तो यही चाहेगी कि यह मामला जल्दी ठंडा पड़ जाये पर मीडिया ने जो बड़े बड़े मसाले दार न्यूज तैयार की है कि जनता का पूरा मनोरंजन हो रहा है । मीडिया में मामला अभी लंबा खिचेगा ऐसा लगता है जिससे पार्टी को नुकसान हो सकता है । मीडिया पर भी दबाव बनाया जा सकता है ऐसे में कितना सच और झूठ मिलेगा ?

5 comments:

http:badnam.blogspot.com said...

अच्छा विश्लेषण।
बधाई।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

जूता खाकर भी शर्म नही।
क्या बात है।

Udan Tashtari said...

सटीक दिया.

हिन्दी साहित्य मंच said...

बढ़िया चर्चा की आपने सारे बिन्दुओं पर । एक अच्छी बात है कि जगदीश और सज्जन को बाहर का रास्ता देखना होगा ।

आलोक सिंह said...

बहुत अच्छा विश्लेषण किया .मीडिया ऐसे ही लगी रहे और जनता का मनोरंजन करती रहे .