जूतियाना है तो जम के जूतियाइये ये जूता फेंकने से क्या होने वाला है ? पी चितंबरम पर एक पत्रकार ( जनरैल सिंह) ने संवाददाता सम्मेलन के दौरान फेंका । भारत के गृह मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम के साथ दिल्ली में मंगलवार को वही हुआ है जो कुछ महीने पहले अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के साथ इराक़ में हुआ था।वर्ष 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों के बारे में सवाल-जवाब करते समय एक सिख पत्रकार उत्तेजित हो गया और उसने अपना जूता चिदंबरम पर फ़ेंका. जूता चिदंबरम को लगा नहीं बल्कि बगल से गुज़र गया।हाल में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर को सीबीआई की 'क्लीनचिट' दिए जाने से अनेक सिख नाराज़ है।
अब यह कारनामा कुछ समझ नहीं आया । गुस्सा जूते पर था या गृहमंत्री पर । एक कहावत है " धोबी से ना जीतो तो गदहा कय कान उमेठो" ।
करनैल सिंह को माफी जरूर मिल गयी है इस बार पर अगली बार ऐसा करेंगें तो इसका मजा जरूर चखना होगा । यह तरीका बिल्कुल गलत और अभद्र है । सीभीआई ने अगर किसी को क्लीनचिट दी है तो इसमें गृहमंत्री का क्या दोष ? यह पत्रकार महाशय बतायेंगें ? ऐसे जूता फेंकने से नाम जरूर मिल गया मुफ्त में और इसके सिवा कुछ भी नहीं ।
4 comments:
क्या सवाल उठाया है जिन की सरकार रहते यह सब हुआ था। इसमे उनका क्या दोष ?
पसंद आयी,
सच्ची बात।
बढिया है।
करे कोई भरे कोई .
अगर जुतियाना है तो जम के जुतियाइये सही लिखा
सही लिखा है आपने सहमत हैं आपसे ।
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