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Tuesday, April 14, 2009

गरीबी का ही तो दुख है .....................मीडिया चर्चा



मेरा लड़का डाक्टर बनेगा , मेरालड़का इंजीनियर बनेगा ऐसा सपना हर मां बाप अपने बच्चओं के लिए देखा करते हैं । आखिर कौन नहीं चाहता कि उसके बच्चे खुशहाल रहें। बात शिक्षा की है । सपने देखना अच्छा होता है पर सपनों को सच करना तो थोडा मुश्किल काम होता है हां अगर सही दिशा में प्रयास करें तो कुछ भी सम्भव है । "कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तबियत से तो उछालों यारों " ये एक ऐसा शेर है जो जगाता है आशावादी सोच को कुछ कर गुजरने के माद्दे को।
आज की शिक्षा का स्तर बहुत अच्छा होते हुए भी अच्छा नहीं है .स्कूल के अलावा भी ट्यूशन का फैशन चल निकला है जैशे इसके बगैर शि्षा अधूरी सी हो गयी है।आम आदमी की बात की जाय तो आज के समय में आम आदमी के लिए बच्चओं को अच्छी पढ़ाई करना बहुत ही मुशकिल हो गया है। क्यों कि महगाई की रफतार से आय की रफतार कहीं ज्यादा ही धीमी है। तो ऐसे में अच्छी पढ़ाई के लिए अच्छा पैसा भी होना आवश्यक हो गया है , अगर किसी मध्यम वर्ग के परिवार में दो बच्चे हैं तो बहुत हीहठिनाई के साथ उनको पढ़या जा सकता है । वो भी इण्टर तक{12 वीं क्लास } । इसके बाद की बात की जाय तो लोग आज केवल प्रोफेशन कोर्स को पढ़ना ज्यादा अच्छा मानते है ,और बात भी सही है क्यों कि पढ़ाई कर के लड़का तुरंत हीकमायी करे यही चाहते हैंसभी । पर प्रोफेशनकोर्स कि फीस की बात ही क्या है दिन दूना रात चौगुना बढोत्तरी हो रही है तो आप बताइये कि इतना पैसा आयेगाा कहां से । अगर कहीं से आभी जाता है तो उसकी भर पाई कैसे होगी । दो जून की रोटी जिसको बमुश्किलन नसीब हो रही है वह भला ऐसा रिश्क कैसे ले सकता है।
हां सरकार के द्वारा एजुकेशलन लोन की व्यवस्था जरूर है पर ये लोन उसी को आसानी से मिलता है जिसके पास पहले से कुछ है या फिर मोटी रकम को दिया बैंक के अफसर को। तो इतना झंझट कौन करे हां ।हांपर जिन्होंने किया है वे अपने आप में मिसाल जरूर हैं । रोजगार के अवसर बहुत है पर पैसे वालों के लिए ही।
पढ़ाई का स्तर सुधरा है पर गरीब के लिए नहीं । मतलब जो अमीर हैं वो तो अमीर बनेगे ही न। भला गांव का मजदूर क्या सोचेगा ये सब बस .जिने कमाने में ही पूरा जीवन कट जाय बहुत है ।
कुछ कार्यक्रम बनाने से नही बदल सकता है गरीब घर । और इनको ही बदलना है अब कैसे ?
कोई चमत्कार तो होगा नहीं. करना तो हमको ही होगा न तो हम जो कर सकते है वो करें यह हमारे ऊपर है कि हम क्या कर सकते हैं।।।
सपने के भारत में आखिर इन लोगों का भी तो सपना जुड़ हुआ है न।तो इनके बारे में भी सोचना ही होगा??

8 comments:

Yogesh Verma Swapn said...

vyavastha par chot karta ek achcha lekh.

हिन्दी साहित्य मंच said...

आधे से अधिक आबादी आज भी गांव में रहती है , खाने के लिए संघर्ष करना पड़ता ऐसे में पढ़ाई लिखायी ? सरकार का प्रयास नौकरशाह के जेबों तक ही है । ऐसे में क्या उम्मीद की जाय ।

prabhat gopal said...

aaj ki shiksha vyavastha ek samanya vyakti ke lie mahngi hoti ja rahi hai. ye to govt. ko sochna hoga. ham jaroor is mudde ko utha kar sarkar par jor dal sakte hai.

Anil Pusadkar said...

इनके बारे मे इस देश मे सोचा जायेगा?ये भी एक सपना है।

admin said...

काश, ये दुख दूर भी होता।

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तस्‍लीम
साइंस ब्‍लॉगर्स असोसिएशन

mehek said...

sahi baat hai ye tution ka fashion ho gaya aaj kal,1st aur 2nd ke bachhe tak tution jate hai,aare nanhi si jaan kab khelegi.school mein bhi padhai kum ho gayi hai,tution ka homework jyada,garib ke liye achhi shiksha pana bahut mushkil hai,amir to amir hi banege sahi baat,magar isk haal bhi hona chahiye kuch.ab 11th aur 12th ke tution class ki fees hi milake pachas hazar ho gayi,kya kare?

Mithilesh dubey said...

भोसड़ी के बहुत चले हो शिक्षा देने ये बता साले कभी किसी गरीब की मदद की है । मादरचोद अपने आपको को बहुत बड़े ब्लागर समझते हो । तुम भी विदेशी फटिच्चरों की तरह भारत की गरीबी को देख रहे हो । जितना लिखते हो कुत्ते उसको कौन पढ़ता है । अब तो सुधार जाओ। अब समझ में आ गया ना औकात ।

अरूण said...

इसे मिटा दे गंदगी को गले से ना लगाये