सच बोलती आंखें,
दिलों के राज खोलती आंखें,
इंसान को इंसानियत से जोड़ती आंखें,
नजर मिलते ही सच बोलती आंखें।
नजर झुके तो कुछ छिपाती आंखें,
यकीं न हो तो देखें ..आंखें,
ममता से भरी मां की आंखें,
प्यार मांगती मासूम बच्चे की आंखें,
मस्ती छलकाती युवा की आखें,
अनुभव से भरी बुजुर्ग की आंखें,
बेबसी से भरी गरीब की आंखें,
गर्व से भरी वीर जवान की आंखें ,
दिल के राज खोलती आंखें ।।
5 comments:
सुरभि जी , आंखों को देखने का सुन्दर नजरिया प्रस्तुत किया है आपने । बेहतरीन रचना के लिए धन्यवाद । शुभकामनाएं।
आंखों का सुन्दर चित्र खींचा है आपने कविता के माध्यम से । बेहतरीन रचना के लिए बधाई।
वाह बहुत सुन्दर
इंसान को इंसानियत से जोड़ती आंखें,
नजर मिलते ही सच बोलती आंखें।
आपने जीवन के विभिन्न रूपों को
उनकी ही आखों में जीवन्त कर दिया है।
सुन्दर चित्र गीत के लिए बधाई।
आपने जीवन के विभिन्न रूपों को
उनकी ही आखों में जीवन्त कर दिया है।
सुन्दर चित्र गीत के लिए बधाई।
Post a Comment