जन संदेश
Thursday, April 2, 2009
हमने दिन दहाड़े किये देवी दर्शन कीर्तन में ........हमारा भारत और अंधविश्वासी लोग
यूँ तो मैं घूमने फिरने का शौकीन नहीं पर कभी-कभी मूड बन जाये तो मौसम का मजा ले लेते हैं । ऐसे ही कुछ रहा कल का दिन । हपने पुराने रूम ( मयूर विहार ) पर आंटी और उनके बच्चों से मिलने जाना हुआ । हमेशा ही बुलाते रहते हैं पर समय न होने के कारण कभी कभार दो तीन महीने में ही चक्कर लगता है । कल जा धमके आंटी के यहां । संयोग वश आंटी अपने रिश्तेदार जोकि नोएडा के सेक्टर १२ में रहते हैं के यहां कीर्तन में जाने के लिए तैयार हो रही थी । मुझे भी कहा चलना है तो चलो । मैंने मन बना लिया । हम लोग रिक्शा से चल दिये । रिश्तेदार के यहां पहुंचे तो कीर्तन शुरू हो चुका था । आंटी वहीं बैठ गयी । मैं और उनका लड़का दोनों उपर जाकर रूम में बैठ जलपान करने लगे । कुछ देर बाद आंटी ने पनी बेटी को भेज कहलवाया कि हम दोनों नीचे आकर कीर्तन में बैठे । मजबूरन जाना हुआ ( मेरा इन सब अंधविश्वासों में बिल्कुल भी भरोसा नहीं ) । बहुत सारी औरतें भजन , गीत कई फिल्मी धुनों के गा रही थी । हम सबसे पीछे जा बैठे मजे से सुनने लगे । करीब २ घण्टे तक यह सब होता रहा । बीच में हम उठते बैठते रहे । कीर्तन खत्म होने ही वाला था तभी अचानक एक महिला अजीब सी आवाज से चिल्लाने लगी ।
पहले तो कुछ समझ न आया फिर आवाज और तेज होती गयी । वह महिला बैठे बैठे अपने स्थान पर जूमने लगी । बाल धीरे- धीरे आगे पीछे बिखर गये । जोर -जोर आवाज को सुन पास बैठा भाई डर सा गया । मैं बहुत ही गौर से देखता रहा ( मेरे लिए यह नया था ) । कुछ महिलाएं खड़ी हो गयी । शायद देवी जी प्रकट हो गयी थी । गंगा जल उस देवी महिला के ऊपर डाला गया । आवाज कुछ शांत होने लगी । एक महिला उठ कर उस महिला के पांव कर गिरकर कुछ न कुछ मांगने लगी । मुझे बहुत ही हास्यास्पद लग रहा था । पर देखना मजेदार था । मैं कुछ फोटो भी लिये देवी जी के । फिर यह कार्यक्रम चलता रहा । आधे घण्टे के बाद सब शां त देवी जी गायब । एक अच्छी बात यह भी रही कि देवी जी बहुत तेजी से मारकर ( पीठ पर ) आशीर्वाद दे रही थी । मुझे भी आंटी ने कहा मैंने मना कर दिया ।
हम भी कुछ घण्टे और रूके वहां खाना खाया फिर रात को निकले वहां से । इस तरह का यह मेरा पहला अनुभव और पहला ही देवी दर्शन था ।
गजब के लोग और गजब का देश । दिनदहाड़े किया हमने देवी दर्शन । कुल मिलाकर मजेदार रहा अनुभव ।
फिर आरती हुई और प्रसाद बट गया इसके बाद फिर से कुए गाने हुए और एक और महिला ने ऐसे ही कुछ हरकत की । सब धीरे-धीरे अपने घरों को चले गये । । फोटो मोबाइल से ली इसलिए साफ तरह से आप न देख सकेंगे । पर फिर भी मैं पोस्ट कर रहा हूँ । हमारा आधुनिक भारत देश और अंधविश्वासी लोग ।
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7 comments:
भगवान दूध पीते हैं आपने सुना होगा । महान भारत और यहां कि जनता जो भी हो जाये वही कम है। आप ने जीवंत दर्शन कर मजे लिये क्या बात है ।
मुझे समझ में नहीं आता कि देवी मां को प्रकट होना ही है तो सशरीर प्रकट क्यों नहीं होती ? उन्हें दूसरों के शरीर का सहारा क्यों लेना पडता है ?
bahut mazedaar lagi yah ghatnaa..
sangeeta ji ki baat bahut sahi hai..gaur kiya jaye..
जय हो!!
"घूमने फिरने का शौकीन नहीं पर कभी-कभी मूड बन जाये तो मौसम का मजा ले लेते हैं । .....
संयोग वश आंटी अपने रिश्तेदार जोकि नोएडा के सेक्टर १२ में रहते हैं के यहां कीर्तन में जाने के लिए तैयार हो रही थी ।
....
रिश्तेदार के यहां पहुंचे तो कीर्तन शुरू हो चुका था । आंटी वहीं बैठ गयी । मैं और उनका लड़का दोनों उपर जाकर रूम में बैठ जलपान करने लगे । कुछ देर बाद आंटी ने पनी बेटी को भेज कहलवाया कि हम दोनों नीचे आकर कीर्तन में बैठे । मजबूरन जाना हुआ ( मेरा इन सब अंधविश्वासों में बिल्कुल भी भरोसा नहीं ) ।"
इन पंक्तियों तक आपने सिर्फ भजन-कीर्तन की बातें की हैं.. और एकदम से "मेरा इन सब अंधविश्वासों में बिल्कुल भी भरोसा नहीं" वाली बात..
क्या आपका मतलब कीर्तन अंधविश्वास है??
कृपया साफ़ करें?
मैं समझ सकता हूँ की "देवी आना" अंधविश्वास माना जा सकता है... पर कीर्तन?? वोह तो सिर्फ प्रभु का नाम लेना है... उसे "अंध" विश्वास कहना समझ नहीं आता है..
धन्यवाद
~जयंत
जयंत जी मैं देवी आना और इस तरह के कीर्तन को अंधविश्वास मानता हूँ । मनोरंजन तक हो तो ठीक है । लोग कहते हैं कि कोई पूर्ण आस्तिक और नास्तिक नहीं हो सकता पर मैं नास्तिक मानता हूँ खुद को । इस लिए ऐसा लिखा । यह कीर्तन मेरे मात्र मनोरंजन भर था ।
नीशू जी, मैंने ऐसे देवी दर्शन कई बार किये है .
मुझे तो लगता है की इसमें सच्चाई कम और , अन्धविश्वास ज्यादा होता है .
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