तुम पति परमेश्वर हो,
तुम्हारे सारे अधिकार
मिले हैं, ईश्वर प्रदत्त,
तुम मेरे मान सम्मान के
रखवाले हो,
पर
जब चाहे मेरे मान सम्मान को
आहत कर सकते हो।
परमेश्वर बनकर मिल गया है
तुम्हें अधिकार ,
मेरे सम्मान को
कुचलने का
मैं तुम्हारी पत्नी हूँ,
श्रद्धा और त्याग की मूरत
अर्पण करूँ खुद को
तुम्हारे चरणों में
अपने अरमानों की चिता पर
पूरे होने दूँ तुम्हारे अरमान
तब मैं पत्नी हूँ "
आदर्श भारतीय पत्नी ।।
8 comments:
पत्नी के समर्पण को प्रस्तुत करती यह रचना बेहद सुन्दर है । निःशब्द है हम । जितनी भी तारीफ की जाये कम होगी । बहुत बहुत बधाई
society !!
समाज की दशा ,पत्नी व्यथा दर्शाती यह रचना प्रिया जी आपने सुन्दर ढंग से रची है । बधाई
पति को परमेश्वर कहे यह तो है आदर्श।
पत्नी के सम्मान में दुनियाँ का उत्कर्ष।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
प्रिया जी।
आपने नारी की मनोव्यथा का
सुन्दर चित्रण किया है।
बधाई।
पुरूष कुछ भी करे और पत्नी से कुछ भी करवाये तो क्या पत्नी को सजा देना ठीक हैं ??
good poetry
Parmeshwar bankar mil gaya hai....pure hone dun tumhare arman!
Bahut sahi likha hai. Aaj bhi ek pati yahi ummeed karta hai apni patni se ki uska dream hi sirf dream hai. patni ka dream bhale ho jaye swah saat fedon ke agni kund mein. Wah re pati parmeshwar...bhagwan subuddhi de aise patiyon ko. :-)
Parmeshwar bankar mil gaya hai....pure hone dun tumhare arman!
Bahut sahi likha hai. Aaj bhi ek pati yahi ummeed karta hai apni patni se ki uska dream hi sirf dream hai. patni ka dream bhale ho jaye swah saat fedon ke agni kund mein. Wah re pati parmeshwar...bhagwan subuddhi de aise patiyon ko. :-)
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