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Sunday, April 5, 2009

बेटी ...............[ एक कविता ] - अनीता सिंह " अन्नू " की

प्राणों से प्रिय हुआ करती है , बेटी बाप को,
उसके लिए बेच देता है वो अपने आप को,

कौन सा दुख है जो बेटी के लिए सहता नहीं
जिसके घर बेटी जन्म लेती है वह दुखी रहता नहीं,

और उस बेटी को दे देता है किस सम्मान से ,
दान बढ़कर हो नहीं सकता कन्यादान से।।

4 comments:

हिन्दी साहित्य मंच said...

अनीता जी , बेटी को अपनी कविता का विषय बनाया अच्छा लगा । सुन्दर रचना । बधाई

Unknown said...

अनीता जी , बहुत ही सुन्दर रचना पेश की है आपने बेटी पर । हकीकत को बयां करती आप की यह यह रचना बहुत बहुत धन्यवाद । शुभकामनाएं।

Udan Tashtari said...

बहुत सुन्दर!! यथार्थ.

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया!!