जन संदेश
Wednesday, April 1, 2009
सच जो मैंने देखा..........लड़कियां ऐसी बनती है शिकार
मैं प्रतिदिन बस से नोएडा अपने पत्रकारिता विश्वविद्यालय जाता हूँ रोज वही भाग-दौड़। सुबह उठना और फिर जल्दी-२ नहा धोकर बस पकड़कर नोएडा के लिए रवाना होना यही मेरी दैनिक प्रक्रिया है पर यह बताने के पीछे जो बात है वो यह है कि-मै 3 सितम्बर को नोएडा से वापस नई दिल्ली आने के लिए बस पर बैठ गया क्योंकि मुझे नोएडा के सेक्टर २० में रहने के लिए कमरा ढूढना था इसलिए सेक्टर २० से ही बस पर बैठा। जैसे ही मै बस पर चढा तो देखा कि बस खाली है पर पूरी सीट भरी है केवल कन्डक्टर के बगल वाली ही सीट खाली है तो मैने अपने को वहीं पर स्थापित कर लिया। धीरे -२ बस रूक -२ कर आगे बढने लगी ।अब हाईवे रोड पर आकर बस रूकी( अक्सर जहां पर पढने और काम करने वाले लोगों की भीड़ बस का इंतजार किया करती रहती है) लोगों का चढना शुरू हुआ वैसे सभी स्टैण्ड पर ही ऐसा होता परन्तु भीड़ ज्यादा थी इसलिए मेरा ध्यान चढने वालों पर ही था सब जब चढ़ गये तो मैने देखा कि मेरे पास दो लड़कियाँ खडी है मैंने अपनी सीट खाली कर दी और एक लड़की को बैठने का न्यौता दिया सो औपचारिकता में वह लड़की नहीं कर मना किया तो मैने आग्रह किया और उसने स्वीकार कर लिया। मुझे अच्छा लगा परन्तु अब मै खडा़ था बस की भीड में और मेरे पास कम कपडों में लडकी खडी थी पर वह परेशान थी गर्मी से और अपने बैग से जब मेरा ध्यान उस पर गया तो यही समझ में आया। मैंने तो अपना बैग जो लडकी मेरी सीट पर बैठी थी उसे ही दे दिया था तो मै काफी सहज महसूस कर रहा था ।इसी बीच बस धीरे -२ स्टैण्ड पार करते हुये आगे बढ़ रही थी तभी पीछे से एक ५५-६० वर्ष के भाई साहब मेरे बगल और उस लडकी के पीछे सटकर खडे़ हो गये मैने जब ध्यान दिया तो देखा की वह एक हाथ के विकलांग है । मुझे दया आ गयी उनको देख कर। बस चलती रही मेरा ध्यान उन पुरूष पर था जो मेरे पास ही खडे़ थे । मेने ध्यान दिया तो पाया कि जो लड़की उनके आगे खडी़ है वे बस के धक्के के बहाने पीछे से उसके कंधे को चूमने की कोशिश कर रहें है जैसे ही उनका ध्यान मेरी तरफ आया वे सजग हो गये और थोडा पीछे हट गये ऐसी हरकत एक दो बार होती रही मैने सोचा कि अगर अबकी कुछ किया तो मजा चखा ही दूँगा। पर ऐसी नौबत नहीं आयी वो लड़की अपोलो हास्पिटल के पास ही उतर गयी साथ में रसिया युवक भी उतर गया। अब आगे क्या हुआ पता नही, पर रास्ते भर यही सोचता रहा कि बाप की उम्र के वे पुरूष और बेटी की उम्र की लड़की और ऐसा व्यवहार? कितना गिर गया है यह समाज? यह तो मेरी आखों देखी सच घटना है।और न जाने कितनी ही घटनाएं घटित होती रहती है पता ही नहीं लगता। इस तरह की घटनाएं देख बहुत ही दुख होता है ।
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16 comments:
yah apani apani manovritti hai. ek ki karani se poora purush samuday badanam ho jata hai. puruish me aap bhi hai aur vah buddha bhi. ladkiyan kaham tak khud ko vbachaen. samvedanshilata ke lie sadhuvad.
शार्मनाक!
manorugn pravruti ke log bhi hote hai kuch,man se viklang,mansikta ek dam gande nalle ke paani jaise.kaise sudharaa jaaye ise logon ko?
ऐसे एक पुरुष को मैं एक बार दिल्ली में अपने पुरुषत्व को आजमाते देख चुका हूँ। बस में खड़ी लड़की ने काफी तंग और छोटे कपड़े पहन रखे थे। सज्जन उनपर झुके जा रहे थे। लेकिन जब उनकी उंगलियाँ लड़की के कपडों में घुसीं, तो लड़की चिल्ला उठी। मेरा घूँसा पड़ने के बाद उनके नकली दाँत बाहर आ पड़े थे। हँसी का पात्र बने तो बने, बस में उनके एक जानकार भी निकल आये थे। सारी वृद्धावस्था की इज्जत का एक ही घूँसे ने कबाड़ा कर दिया था।
यह एक मानसिक विकृति है, जिसका इलाज घूँसा है। आइये इन सभी का मिलकर इलाज करें!
maine bhi kai baar aisa hote dekha hai...bahut hi sharamnaak kritya hai....
aisi ghatnaon ko rokna hi behtar hai.
शर्मनाक घटना हैं । ऐसा ही बदलाव है आज के समय में ।
कोई शक नहीं...मै तो दिल्ली की बसों में सफ़र करने वाली लड़कियों को साहसी मानता हूँ ....जो रोज के इन घटिया मानसिकता वाले लोगो से गुजर कर अपने ऑफिस या कॉलेज जाती है
ये कुंठा ग्रस्त लोग हैं जो शराफत के चोले के पीछे खूंखार खेल खेलने के माहिर हैं...ऐसे लोगों का सार्वजानिक अपमान होना चाहिए...
नीरज
कहाँ तक परेशान हों ...रोज़ ही सफ़र करना है ....अंग्रेजी ...हिन्दी दोनों वाला
अनित जी से सहमत हूँ ..एकमात्र इलाज़ यही है
शर्मनाक घटना हैं.ये मानसिक विकृति के लोग हैं.
ऐसे लोगों का सार्वजानिक अपमान होना चाहिए.
शर्मनाक घटना
मैने भी देखा है ... दिल्ली की बसों की भीड में सफर करते हुए कुछ लोगों की मानसिकता को ... पता नहीं वहां की लडकियां कैसे प्रतिदिन सफर कर कालेज या आफिस पहुंचती हैं।
कलयुग है भाई , अब क्या कहेगे , बहुत शर्मनाक घटना है .
very sensitive issue for immuned people, wellsaid my dear ,situation is versening day by day and no solution is on the cards.But as a young man I wish to appriciate your thoughts and action aswell.I also belong to pratapgarh and hope that you will raise new hopes for our people through yr work.
with love
yours brotherly
dr.bhoopendra
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