उत्तर प्रदेश पुलिस का एक नमूना हाल ही में सामने आया । अंजू नाम की महिला ने एक छह साल की दलित बच्ची पर २८० रूपये चुराने का आरोप लगाया । इसके बाद पुलिस वाले बच्ची को थाने ले जाकर बेरहमी से पिटाई करते हैं। यह कोमल नाम की बच्ची पर पर्स से पैसे चुराने का आरोप अंजू ने लगाया ।और कहा कि कोमल ने ये पैसे निकाल किसी और बच्चे को दे दिया । इस आरोप के मद्देनजर पुलिसवालों ने थाने में कोमल की पटाई की।
जब मामला मीडिया में गरमाया तो मुख्यमंत्री मायावती ने दो पुलिसकर्मी को बर्खास्त कर दिया । बाल विकास मंत्री रेणुका चौधरी ने इस मामले को लेकर मुख्मंत्री मायावती पर हमला बोल दिया । जिसके चलते मजबूर होकर मायावती को एक डीएसपी और एसएचओ चंद्रभान को सस्पेड कर दिया ।
बात केवल उत्तर प्रदेश की नहीं है बल्कि बिहार, मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ जैसे प्रदेशों में इस तरह की वारदात आये दिन होती रहती है । जिसका मामला मीडिया में आता है उस पर कार्यवाही होती है । वर्ना सब जस का तस । न तो दलित समाज इस पर कुछ कर पाता है और न ही प्रशासन ही ।
इस तरह की घटनाएं होने से हमारे समाज में आज भी दलितों की दशा का वास्तविक चित्रण मिलता है। इनकी दशा और दुर्दशा में कोई परिवर्तन नहीं आया है। पुलिस को समाज की व्यवस्था को सुचारू रूप चलाने के लिए सारे अधिकार कानून ने दिये हैं । जिसका संचालन कुछ वर्ग तक ही सीमित लगता है । पुलिस बर्बरता को कैसे कम किया जाय । इसका कोई हल नहीं नजर आता । किसी ने अपराध किया है तो पुलिस को अधिकार नहीं कि वह किसी की सजा को निर्धारित करे और सजा दे। पर शायद कानून का दुर्पयोग कानून के रखवाले ही सरेआम कर रहे हैं।
कहीं किसी की जान जाये तो पुलिस के कान में जूं तक नहीं रेगती और इस बच्ची के इस छोटे से अपराध की इतनी बड़ी सजा । जिस अपराध का अभी तक निर्धारण भी नहीं हुआ है। आखिर कैसे बचे इन पुलिसिया आतंक से समाज यही सवाल जेहन में है।
4 comments:
ऐसे मे ही तो पुलिस की काबलियत नजर आती है ।
कभी आपने वर्दी वाला गुंडा सुना है . कुछ पुलिस वाले अपने को वही समझते हैं . अगर पुलिस के सभी अधिकारिओं और कर्मचारियों का मानसिक परीक्षण किया जाए तो ३०-४० प्रतिशत मानसिक रूप से रोगी होगे . बहुत से डिप्रेशन का शिकार हैं.तो क्या उम्मीद कर सकते इनसे .
यह पुलिस वाले, यह मन्त्री इतना घटोला करते है, उन्हे क्यो नही इसी तरह से मारा जाता, लानत है इन सब पर जो भी इस मै मिले है.
6 साल की बच्ची की पिटाई.....पुलिसवालों में मानवता बची है या नहीं ?
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