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Tuesday, February 24, 2009

तुम ही कहो मैं क्या करूँ ? ये मेरे दिलनसीं

एक अहसास ,
एक विश्वास,
टूट रहा है,
साथ तुम्हारा छूट रहा है।
एक भरोसा ,
एक उम्मीद ,
जो दी थी तुमने,
वो तो धूमिल हो चली।
करूँ मैं क्या ?
ये मेरे दिलनसीं।
" रोशन दिये बुझने को है,
मंजिल से रास्ते छूटने को है,
हौसला अब टूटने को है,
सांसे अब थमने को है,
जिंदगी हमसे रूठने को है"
तुम ही कहो मैं क्या करूँ ?
ये मेरे दिलनसीं।।

3 comments:

MANVINDER BHIMBER said...

एक अहसास ,
एक विश्वास,
टूट रहा है,
साथ तुम्हारा छूट रहा है।
एक भरोसा ,
एक उम्मीद ,
जो दी थी तुमने,
वो तो धूमिल हो चली।
वाह क्या बात है...बहुत सुंदर

mehek said...

sundar ehsaas sundar rachana badhai

Anonymous said...

wah wah kya baat hai