रिश्ते की ताजगी,
न रही,
तुममें वो सादगी,
न रही,
कहती हो प्यार,
मुझसे है,
पर
ये बातें सच्ची न लगी,
तुम कहती थी,
तो
मैं सुनता था,
तुम रूठती थी,
तो
मै मनाता था,
तुम चिढ़ती थी,
तो
मैं चिढ़ाता था,
तुम जीतती थी,
तो
मैं हार जाता था,
ये सब अच्छा लगता था,
मुझे
वक्त ने करवट ली,
मैं भी हूँ,
तुम भी हो,
साथ ही साथ हैंं,
पर
वो प्यार न रहा,
वो बातें न रही,
तुम कहती हो कि-
मैं बदल गया,
शायद हां- मैं ही बदल गया।
क्योंकि
तुम्हारा जीतना,
तुम्हारा हसना,
तुम्हारा मुस्कुराना,
अच्छा लगता है अब भी,
चाहे मुझे हारना ही क्यों न पड़े ।।
16 comments:
sheershak hi shayad panch line hai dost.
सुन्दर रचना. धन्यवाद
बहुत सुंदर...
Haan...rishe kuchh aisehee ho jate hain...
Ek tees kaa ehsaas dilaate alfaaz...
bahut hi achha likha hai....
cant have words for praise.
zindagi ka kadwa sach hai ye ki waqt ke sath rishte bhi badal jate hai, ehsaas kahi kho jaate hai.... reh jaati hai to sirf baate....
par aisa kyun hota hai ye samajh nahi paayi hu aaj tak.....
अच्छी कविता लगी आपकी. यूँ ही लिखते रहिये. मेरे मेल पर आपका मेल आया था, सो मैंने आपका ब्लॉग क्लिक किया. कभी फुर्सत हो तो मेरे ब्लॉग पर भी आये.
सुंदर रचना.........रूठना मनाना, जीतना जिताना,
शब्दों का अच्छा जाल
rachna sundar hai .sachmuch men rishte ki tajgee door men hi rahtee hai .bahut kuch kah diya hai apne apni kavita men .achcha prayas hai .kraya mera blog bhee dekhen ,bhavkisarita pa apnee tippadee avashy den .
dhanyavad
सुन्दर लगी आपकी यह रचना
सुंदर रचना.........
सुन्दर रचना. धन्यवाद
आपकी इस कविता में अहसासों का अच्छा संयोजन है ... शुभकामनाएं.......
आपने तो हमें आज कुछ-कुछ याद दिला दिया भाई....आपकी कविता ही ऐसी है....बस ऐसे ही आगे बद्गते रहिये....!!
Sundar Kavita ke liye badhai rachanakar aur aapko bhi use prakashit karane ke liye.
Dr.Chandel
बेह्तरीन कविता!
वक्त बहुत कुछ दिखलाता है /रचना भावुक
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