ब्लागर्स हर मुद्दे पर अपनी दबी हुई आवाज, भावानाओं का इजहार ब्लाग पर नहीं कर सकते हैं।सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, ब्लाग पर मौजूद सामाग्री के लिए ब्लागरखुद ही जिम्मेदार है।और इसके लिये उसे मुकदमें का सामना करना पढ सकता है । यानी किसी मुद्दे पर ब्लाग शुरू करके दूसरों को उस पर मनचाहे और अनाप-शनाप कमेंट पोस्ट करने के लिए बुलाना अब खतरनाक है ।
चीफ जस्टिस के.जी.बालाकृष्णन और जस्टिस पी सतशिवम की पीठ ने कहा कि ब्लाग पर कमेंट भेजने वाला जिम्मेदार है,यह कहकर ब्लागर बच नहीं सकता है। ये बातें केरल के १९ साल के कंप्यूटर सांइस के स्टूडेंट ठर ब्लागर अजीत से जुड़े केस में कही। मामला था सोशल साइट पर शिव सेना के खिलाफ एक कम्युनिटी शुरू करना। इसमें पोस्ट पर कई लोगों की पोस्ट और कई चर्चाएं थी, जिसमें सिवसेना पर धर्म के आधार पर देश को बांटने का आरोप लगाया गया था। इस पर शिवसेना की ओर से दाखिल शिकायत की गई।
इसलिए सभी ब्लागर इस चीज को समझ ले कि आपके ब्लाग पर कुछ भी अनौपचारिक न हो अन्यथा कानूनी दांच पेंच में पड़ना पड़ सकता है ।
4 comments:
yaha bhi curt ka lagam ,jankari ke liye dhanyvad.
प्रणाम
यह उचित नहीं है की हम अपनी दिल की बात किसी से कह न सके ,किसी व्यक्ति - विशेष के बारे में सीधे खुले शब्दों में टिप्णी या चर्चा न कर पाना सही नहीं अगर सामने वाले को लगता है की ये गलत है तो वो उसका जवाब सबके सामने उसी चर्चा के माध्यम से दे .
मैं आलोक जी की बात से इत्तेफाक करता हूँ..........
विचार व्यक्त करने की मनाही नहीं होनी चाहिए, हाँ खुली चर्चा के लिए तैयार रहना चाहिए
अच्छा है। लेकिन आइ.टी. 2000 क़ानूनों पर ग़ौर करिए, कोई भी व्यक्ति कैसी अभिव्यक्ति के लिए स्वतंत्र हैं और कोई भी क़ानून उसे प्रतिबंधित नहीं कर सकता!
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चाँद, बादल और शाम
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