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Wednesday, February 25, 2009

"खामोश रात में दस्तक देती है तुम्हारी यादें"

खामोश रात में तुम्हारी यादें,
हल्की सी आहट के साथ ,
दस्तक देती हैं,
बंद आखों से देखता हूँ,
तुमको,
इंतजार करते-करते परेशान,
नहीं होता हूँ अब,
आदत हो गयी है तुमको,
देर से आने की,
कितनी बार तो शिकायत की थी,
तुमसे ही,
पर
क्या तुमने किसी बात पर गौर किया?
नहीं ना,
आखिर मैं क्यों तुमसे इतनी,
उम्मीद करता हूँ?
क्यों मैं विश्वास करता हूँ?
तुम पर
जान पाता कुछ भी नहीं,
पर ,
तुमसे ही सारी उम्मीदें जुड़ी हुई हैं,
तन्हाई में,
उदासी में,
जीवन के हर पल में,
खामोश दस्तक के साथ,
आती हैं तुम्हारी यादें,
महसूस करता हूँ-
तुम्हारी खुशबू को,
तुम्हारे एहसास को,
तुम्हारे दिल की धड़कन का बढ़ना,
और
तुम्हारे चेहरे की शर्मीली लालिमा को,
महसूस करता हूँ-
तुम्हारा स्पर्श,
तुम्हारी गर्म सांसे,
उस पर तुम्हारी खामोश
और आगोश में करने वाली मद्धम-मद्धम,
बायर को,
खामोश रात में बंद पलकों से,
इंतजार करता हूँ,
तुम्हारी इन यादों का............

3 comments:

राज भाटिय़ा said...

बहुत ही प्यारी ओर सुंदर कविता.
धन्यवाद

mehek said...

sach bhavanaon se bhari ek khubsurat kavita sundar.

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत ही अच्छी रचना है।बधाई स्वीकारें।