''आबादी से भी तेज गति है रोज़गार के अवसरों की", कम से कम नेशनल सैम्पल सर्वे आर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट तो इसी तरफ इशारा कर रही है। जो हाल ही में एक नामी-गिरामी अखबार के प्रथम पृष्ठ पर छपी थी। रिपोर्ट में दिये गये आँकड़ों की मानें तो आजादी के बाद पहली बार देश में रोजगार के अवसर आबादी से अधिक तेजी से बढ़े हैं।2000-05 के बीच आबादी 2.35 की दर से बढ़ी जबकि रोजगार के अवसर 2.80 के हिसाब से बढ़े हैं।अब जबकि कुछ ही दिनों के बाद हमारा देश 60 साल का हो रहा है, ऐसे में इस तरह के आँकड़े थोड़ी उम्मीद तो दिलाते ही हैं। लेकिन अधिक खुश होने ज़रूरत नहीं है, क्योंकि आज की तारीख में भी भारत की आधे से भी ज्यादा आबादी बेरोजगार है।
'नासकाम' की रिपोर्ट का हवाला दिया जाये तो आने वाले 5 से 10 सालों में आई टी, बीपीओ तथा रिटेल सेक्टर में बेरोजगार के अवसर बेतहाशा बढ़ने वाले हैं। जरूरत होगी रोजगारपरक शिक्षा की; जोकि उन अवसरों को सफलताओं में तब्दील कर सके।
कुछ ही दोनों पहले मेरे एक मित्र ने बात-बात में कहा था कि पैसा तो मार्केट में बह रहा है, लेकिन ज़रूरत है पैसे को पकड़ने का गुर सीखने की।
लगता है वे सही थे।
2 comments:
आप हो क्या ?
आंकड़ो के खेल ने ही तो बेड़ा गर्क कर रखा है.
Post a Comment