आधुनिक भारत की बदलती तस्वीर
भारत वर्ष हमेशा से अपनी प्राचीन सभ्यता एंव सस्कृति के लिये जाना जाता रहा है और समय के साथ परिवर्तन होना स्वाभाविक भी है परन्तु एक बात ये ध्यान देने की है कि हम जिस सभ्यता को अपनाने की तरफ झुक रह रहें वास्तव में वो हमारी ही संस्कृति को हमेशा से ही महान मानते हैं पाश्चात्य सस्कृति में काफी कुछ अच्छाई विद्यमान है परन्तु आज हम उनकी सभ्यता से जो भी ग्रहण कर रहें वो हमेशा से ही हमारी संस्कृति के खिलाफ रहा है उदाहरण के लिए खुलापन , माता-पिता को सम्मान न देना , शराब एंव धूम्रपान और एक अलग जीवन भाग -दौड भरा। अब प्रश्न यह है कि हमारे युवा को यह समाज इतना क्यों आकर्षित कर रहा है? अगर जहाँ तक अगर हम उनके नजरिये से देखें तो केवल एक ही नजर आता है कि फैशनपरस्ती और साथ-२ माता पिता का बच्चों की तरफ ध्यान न देना। हम आगे बढे जरूर पर इस तरह तो नही। विकास हो लेकिन अपने सभ्यता को भुलाकर नहीं ।
भारत वर्ष हमेशा से अपनी प्राचीन सभ्यता एंव सस्कृति के लिये जाना जाता रहा है और समय के साथ परिवर्तन होना स्वाभाविक भी है परन्तु एक बात ये ध्यान देने की है कि हम जिस सभ्यता को अपनाने की तरफ झुक रह रहें वास्तव में वो हमारी ही संस्कृति को हमेशा से ही महान मानते हैं पाश्चात्य सस्कृति में काफी कुछ अच्छाई विद्यमान है परन्तु आज हम उनकी सभ्यता से जो भी ग्रहण कर रहें वो हमेशा से ही हमारी संस्कृति के खिलाफ रहा है उदाहरण के लिए खुलापन , माता-पिता को सम्मान न देना , शराब एंव धूम्रपान और एक अलग जीवन भाग -दौड भरा। अब प्रश्न यह है कि हमारे युवा को यह समाज इतना क्यों आकर्षित कर रहा है? अगर जहाँ तक अगर हम उनके नजरिये से देखें तो केवल एक ही नजर आता है कि फैशनपरस्ती और साथ-२ माता पिता का बच्चों की तरफ ध्यान न देना। हम आगे बढे जरूर पर इस तरह तो नही। विकास हो लेकिन अपने सभ्यता को भुलाकर नहीं ।
No comments:
Post a Comment