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Monday, August 27, 2007

मीडिया का बदलता स्वरूप


आज युग भाग-दौड भरा है किसी को समय नही है कि वह अपना ध्यान पेपर और सारी खबरों को पढें। ऐसे मे ये जरूरी हो जाता है कि सारी खबरों को आसानी से किस प्रकार जाना जाय तो इस काम को आसान किया है टी वी और इन्टरनेट के माध्यम से ताजा जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
मीडिया का दायित्व समाज के आसपास जो कुछ भी घटित हो रहा होता है को जनता के समक्ष सत्यरूप में प्रस्तुत करना होता है परन्तु आज की मीडिया अपने उद्देश्य को लेकर चलने मे असफल हो रहा है या कहें की मीडिया का लक्ष्य बदल गया है आज की मीडिया केवल अपना आर्थिक पक्ष ले कर चल रही हे अब पत्रिकारिता को एक कैरियर के रूप में देखा जाता है । पत्रकार भी अब साँप , बिच्छू तक सीमित हो चुके है कोई नयी सोच नयी लेकर नहीं आ रहे है वो केवल मसाले दार खबर को ही प्राथमिकता देते हैं ।
अतः यहाँ जरूरत है कि मीडिया अपने दायित्व को समझे तथा समाज को राह दिखाये । तथा इन साँप के खेल को छोड नयी सोच समाज को दे। अतः जरूरी है कि प्रबन्धक के पद पर एक सम्पादक हो जो लाभ की बात तो सोचे पर समाज को दाँव पर न रख कर।

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