जन संदेश
Sunday, August 19, 2007
तसलीमा नसरीन की "लज्जा"
तसलीमा नसरीन की "लज्जा"
अपनी पुस्तक का विमोचन करने आयी प्रख्यात बांग्लादेशी लेखिका और नारीवादी तसलीमा नसरीन को बीते ९ अगस्त को कट्टरपंथियों की बदसलूकी का सामना करना पडा । यदि कार्यक्रम के आयोजक व पत्रकार नसरीन के सामने नहीं आये होते तो हमलावर लेखिका का बुरा हाल कर सकते थे, तसलीमा को बचाकर बाहर निकालने में एक तेलगू साहित्यकार और कई पत्रकार घायल हो गये।
हमलावर की अगुवाई मजलिस इत्तिहादुल मुस्लमीन (एमआई एम) के तीन विधायक कर रहे थे। प्रतिबन्धित उपन्यास "लज्जा" के बाद कट्टरपंथी मुस्लिम संगठनों के निशाने पर आई नसरीन ने कहा कि " यह हमला उनकी हत्या की साजिश भी हो सकता है लेखिका भारत में निर्वासित जीवन व्यतीत कर रही हैं।
नसरीन की हालिया पुस्तक " शोध" के तेलगू अनुवाद का विमोचन समारोह समाप्त होने को ही था कि विधायक अफसर खान , अहमद पाशा व मौजुम खान के अगुवाई में एम आई एम के करीब ४० कर्याकर्ता अचानक विमोचन
समारोह स्थल प्रेस क्लब परिसर मे घुसे और लेखिका के खिलाफ नारेबाजी करने लगे तथा नसरीन पर किताबें और कागज फेकें । तसलीमा ने कोलकाता जाते हुए कहा कि " अन्ततः कट्टपंथियों की हार होगी और लोकतंत्र तथा अभियक्ति की आजादी कि जीत होगी उन्होंने कहा कि " छोटे से समूह का प्रतिनिधित्व करने वाला समूह मुझे शारीरिक रूप से नुकसान पहँचा सकता है पर उन्हें भ्रम है कि वे ऐसा कर मेरी आवाज भी दबा देगें लेकिन वे गलती कर रहे हैं।
इस हमले की निदां मुख्यमंत्री राजशेखर रेड्डी, सूचना प्रसारण मंत्री प्रियरंजन दास मुंशी तथा भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर आदि समेत पूरे भारत ने किया तथा भविष्य में ऐसी धटनाऐं ना हो क्योंकि यह हमला स्त्री समाज के आधुनिक सोच पर था पर क्या ये लोग सफल हो पायेगें? कभी नही
प्रेषक - निशान्त
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