मलिक मुहम्मद जायसी हिन्दी साहित्य के भक्ति काल की निर्गुण प्रेमाश्रयी शाखा के कवि हैं । हिंदी साहित्य का भक्ति काल 1375 वि0 से 1700 वि0 तक माना जाता है। यह युग भक्तिकाल के नाम से प्रख्यात है। यह हिंदी साहित्य का श्रेष्ठ युग है।हिंदी साहित्य के श्रेष्ठ कवि और उत्तम रचनाएं इस युग में प्राप्त होती हैं।भक्ति-युग की चार प्रमुख काव्य-धाराएं मिलती हैं : ज्ञानाश्रयी शाखा, प्रेमाश्रयी शाखा, कृष्णाश्रयी शाखा और रामाश्रयी शाखा, प्रथम दोनों धाराएं निर्गुण मत के अंतर्गत आती हैं, शेष दोनों सगुण मत के। जायसी उच्चकोटि के सरल और उदार सूफी कवि थे ।
जायसी का जन्म सन १५०० के आसपास का माना जाता है । जायसी का जन्म स्थल उत्तर प्रदेश का जायस नामक स्थान माना जाता है । जायसी का जीवन सामान्य रहा । खेती बारी से ही जीवन निर्वाह किया ।
जायसी की कई कृतियों में गुरू शिष्य की परंपरा का वर्णन मिलता है । इनकी कुल २१ कृतियों के उल्लेख प्रमुख रूप से मिलते हैं इनमें प्रमुख है -पद्मावत, अखरावट, आख़िरी कलाम, कहरनामा, चित्ररेखा । जायसी की कृति पद्मावत से बड़ी ख्याति प्राप्त की । इसमें पद्मावती की प्रेम-कथा का रोचक वर्णन हुआ है। रत्नसेन की पहली पत्नी नागमती के वियोग का अनूठा वर्णन है। इसकी भाषा अवधी है और इसकी रचना-शैली पर आदिकाल के जैन कवियों की दोहा चौपाई पद्धति का प्रभाव पड़ा है।
जायसी की मृत्यु १५५८ में हुआ । भक्तिकाल के अन्य कविओं में तुलसीदास , सूरदास एवं कबीरदास रहे ।
11 comments:
badiya jankari
बहुत ही अच्छा लगा जायसी पर ये आलेख पढ़कर । धन्यवाद
जायस राई बरेली के पास है.
काजल कुमार जी जायस रायबरेली के पास की ही जगह है परन्तु जायसी के जन्मस्थल पर साहित्यकारों में मतभेद है ।
बहुत रोचक मेरे लिये नई जानकारी है आभार्
बहुत ही अच्छी जानकारी दी आप ने. हम तो बहुत कुछ भुल ही गये है.
धन्यवाद
बहुत ही अच्छी जानकारी दी है आपने भक्तिकाल के कवियों के बारे में..........
भक्तिकाल के कवि जायसी में सोरठा और दोहा का सुन्दर उपयोग किया । जानकारी रोचक लगी । धन्यवाद
नीशू जी , महाकवि जायसी पर आपका आलेख बहुत ही जानकारी प्रद लगा । आभार इस आलेख के लिए ।
अच्छी जानकारी दी..आभार.
मृत्यु हुआ नहीं ,मृत्यु हुई साहित्यिक आलेखों मे भाषा का ध्यान अवश्य रखें
Post a Comment