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Friday, November 23, 2007

सेक्स सर्वेक्षण नैतिक या अनैतिक


पिछले दिनों मैने इण्डिया टुडे पत्रिका का अध्ययन किया जो कि सेक्स विशेषांक था। सेक्स विशेषांक पढ़कर थोड़ा आश्चर्य हुआ। लेकिन सरसरी नजर से पूरे अंक को पढ़ा।इण्डिया टुडे अपनी विविधता , खोजपूर्ण शोध, विवेचना, कला-साहित्य, मनोरंजन से परिपूर्ण है जिस वजह से मैं इसका नियमित पाठक रहा हूँ।सेक्स विशेष सर्वेक्षण के परिणाम कुछ भी बयां कर रहें हो। नैतिक यौन सम्बन्ध आज भी भारतीयों की संम्पदा है यौन सम्बन्धों की खुली चर्चा हो, सेक्स को पाठ्यक्रम का अंग भी बनाया जाय लेकिन उसकी आत्मा"नैतिकता" पर आंच न आने पाये। इसका समाजशास्त्रियों, मनोचिकित्सक, सामाजिक शोधार्थी तथा मीडिया को पूरा ध्यान देना चाहिए।
यदि इण्डिया टुडे के सर्वेक्षण को माने तो सेक्स को लेकर महिलाओं की चुप्पी टूट रही है । वे बिस्तर पर भी उतना ही अधिकार चाह रही हैं जितना पुरूष। इस चुप्पी के टूटने का मतलब यह नहीं है जि स्त्रियां विरोध कर रही हैं बल्कि वे भी सेक्स का भरपूर लाभ उठाना चाहती हैं।विशेष सर्वेक्षण 'विवाह का काम' अश्लील ही कहलाएगा। सेक्स को इतने भद्दे ढ़ग से दिखाया गया था इसकी आशा न थी। पत्रिका को घर में लाने लायक नहीं था। सेक्स क्रियाएं इस तरह घर पर खुलेआम तो नही होती हैं।यहां पर यह बात सोवने योग्य है कि क्या ये विशेषांक हमारे समाज का सही आइना हैं और इससे समाज में परिवर्तन होगा? वैसे ये विशेषांक कुछ नही तो पत्रिका की पाठक संख्या तो अवश्य ही बढ़ाते हैं। इसके अलावा कुछ भी नहीं।

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