क्यों कोई दिल को छू जाता है,
क्यों कोई अपनेपन का एहसास दे जाता है।
छूना जो चाहो बढा़कर हाथ,
क्यों कोई साये सा दूर चला जाता है।
सब बहुत अपनापन जताते है,
खुद को हमारा मीत बताते है,
पर जब छाते है काले बादल,
क्यों वे धूप से छावँ हो जाते हैं।
कोई बता दे उन नाम के अपनों को,
ये दिल दिखने में श्याम ही सही,
पर दुखता तो है,
हम औरों की तरह ना सही,
पर बनाया तो उसने आप सा ही है ।
क्यों कोई अपनेपन का एहसास दे जाता है।
छूना जो चाहो बढा़कर हाथ,
क्यों कोई साये सा दूर चला जाता है।
सब बहुत अपनापन जताते है,
खुद को हमारा मीत बताते है,
पर जब छाते है काले बादल,
क्यों वे धूप से छावँ हो जाते हैं।
कोई बता दे उन नाम के अपनों को,
ये दिल दिखने में श्याम ही सही,
पर दुखता तो है,
हम औरों की तरह ना सही,
पर बनाया तो उसने आप सा ही है ।
मोनिका सुना रही है
1 comment:
अपनापन का छल, वाह । गहरा दर्द है ।
आरंभ
जूनियर कांउसिल
Post a Comment