भारत में विकलागों की पेशानियों को हम काफी हद तक नजरअंदाज कर जाते है? जबकि यह हमारे समाज की बुराई में बढावा देती है । साथ ही साथ मानवता के नाते हमारा कुछ सामाजिक दायित्व होता है। पर हम इस सामाजिक दायित्व से मुह मोड लेते है ,जो की शिक्षित समाज के लिए एक दुखद बात है। आज भारत में विकलागंता को दूर करने के लिए सरकार द्वारा कई महत्तवपूर्ण कदम उठाये गये है पर फिर भी क्या कारण है कि इस रोग में कमी होने बजाय बढोत्तरी हो रही है। अगर हम भारत के प्रदेशों के नजरिये से देखे ,तो उत्तर प्रदेश में आज सबसे ज्यादा लोग विकलांग हैदूसरे नं पर बिहार और फिर और कई राज्य इस श्रेंणी में अपनी पहचान बनाने में आगे है । जहां तक यदि बात किया कि क्या मूल कारण है कि इतने प्रयास के वावजूद भी भारत इस रोग से छुटकारा नही पा पा रहा है? भारत की पूरी आबादी आज के समय में विश्व में दूसरे स्थान पर है । यह पूरे विश्व की लगभग १६ प्रतिशत आबादी है और आज भारत दिन ब दिन बढती जनसख्या का शिकार हो रहा है ,जिससे भारत में वर्तमान जनसंख्या १अरब १६ करोड के पास पहुचती है। और सरकार के अभियान पूरे देश में एक साथ चलाना एक बहुत बडी चुनौती है पर मैं यह नहीं कहता कि सरकार के ये प्रयास पूरी तरह विफल है पर जरूरत है अभी भी लोगों को जागरूकता की , ग्रामीण क्षेत्रों में अभी लोग अनजान से है। विकलागों की संख्या में और अधिक बढोत्तरी न हो ,यह भी काफी हद तक हमारे प्रयासों को दर्शाता है ।जो लोग इस विकलांगता के दुष्प्रभाव से पीडित है उनको भी नजर से हम नहीं हटा सकते है। तथा हम सब को मिलकर इस समस्या का हल निकालना चाहिए ।जहां तक हो सके सब को इन विकलांग व्यक्तियों की मदद् कर इन्हें समाज की मुख्य धारा में शामिल करना होगा। और सरकार की तरफ से जो प्रयास होगें वो तो अलग बात है ।पर हमारा कर्तव्य यह है कि हम आगे बढ़के इनके भविष्य के लिए कुछ मजबूत रास्तों का निर्माण करें जिसे इन लोगों को यह न लगे कि यह समाज से अलग हट के है ।और भारत के विकास में इनके योगदान को भी शामिल करें।कई गैरसरकारी संस्थान विकलागों के सहयोग के लिए है ,पर ये संस्थान ज्यादा तर स्वहित में ही रह जाते है ।तथा अपने मूल उद्देश्य को भूल जाते है। हम यह प्रयास स्वयं से करना है नकि इस गैरसरकारी संगठन या फिर सरकार के ऊपर निर्भर हो के । क्यों कि इनके जो काम है वो अपना कार्य करगें पर ,हम को अपना काम करना होगा इन लोगों की सहायता करके । वैसे" पहल" नाम का एक युवा संगठन इस क्षेत्र में अपनी भूमिका निभा रहा है ।यह कुछ छात्रों द्वारा चलाया जा रहा है। यह किसी भी विकलाग की हर तरह से मद् द के लिए आगे आ रहा है। हमको ऐसे ही साक्क्षों से सीख लेने की जरूरत है। आइये योगदान करें कुछ काम करें इनके लिए भी। और इस विकलांगता रूपी अभिशाप के मिथक को तोडने की कोशिश करें।क्यों कि भारत विश्व का सबसे युवा देश है और हम विश्व के सबसे ज्यादा उम्मीद रखने वाले लोगों देशों में गिने जाने वाले तथ्य को सत्य सिद्ध करें।
4 comments:
अच्छा संदेश. जरुर इस दिशा में जितना बन पड़े योगदान करना चाहिये.
१६ करोड़ तो काफ़ी बड़ी संख्या है। सोचिए इसमें कितनी उत्पादन क्षमता है।
वैसे आप अपने लेख को अनुच्छेदों में विभाजित करेंगे तो अधिक पठनीय होगा।
आलोक
बड़ा ही अच्छा लगा आपकी सराहनीय पहल को पढ़कर आशा है आगे भी आप विकलांगों के विकाश हेतु लिखते रहेंगे और सभी को लिखने और उनके लिए कुछ प्रयास करने को प्रोत्शाहित करेंगे . पहल तें आपका साभार प्रकट करती है और युवा संयोजक के रूप में आपका स्वागत है,, जय हिंद वन्दे मातरम
कल मेरी आत्मा ने मुझसे से पूछा कि पहल क्या है?
तो मैंने बोला
पहल विकलांगों के लिए एक दुआ है
पहल है एक मुस्कान जो विकलांगों की खुशी देख कर खिल जाए
पहल है वो दिल जो किसी भी विकलांग के दुख मे शामिल हो जाए और विकलांगों को समानाधिकार दिलाये
पहल है वो जज़बात जो एक विकलांग की भावना को समझे
पहल है वो एहसास जिस मे हर दिन दुखो विशेषकर विकलांगों के लिए प्यार की मिठास हो
पहल है वो बातें जिनमे शामिल हों विकलांगों के चतुर्मुखी विकाश की योजनाये और उसमे अमल हो
पहल है वो आँखे जिनमे सभी विकलांगों के खूबसूरत ख्वाब समा जाएँ और उन्हें साकार करे
पहल है वो आसूँ जो किसी भी विकलांग के ग़म मे बह जाएँ
पहल है वो हाथ जो किसी भी विकलांग के लिये मुश्किल के वक्त सहारा बन जाये
पहल है वो कदम जो अमन और शान्ति का रास्ता तय कर जाएँ
पहल है वो सोच जिस मे पूरी दुनिया की भलाई का ख्याल हो, जो भारत उदय में विकलांगों को एक जिम्मेदार व सम्मानीय नागरिक का दर्जा दिलाये, जो विकलांगों को भारतीय संविधान के अनुसार रोटी, कपडा और मकान की व्यवस्था कराये, आइये हम और आप मिलकर अपने प्यारे वतन को उन्नत और प्रगतिशील बनाये,जय हिंद जीत 09903048200
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