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Tuesday, October 2, 2007

हमारे बापू जी और विश्न अहिंसा दिवस


बापू के १३८वें जन्मदिन पर शत शत नमन।
दो पग चले तो कारवां ही चल दिया। आज पूरा जगत प्रथम "विश्व अहिंसा दिवस" के रूप में मना रहा है २ अक्तूबर को। गांधी जी की विचार धार का प्रवाह समस्त मानव समाज में कण-२ में विद्यमान है। सत्य अहिंसा का जो हथियार गाधी जी ने दिया वह अदभुत था ।भारत में ब्रिटिश हुकूमत के विरूद्ध स्वतन्त्रता प्राप्ति आन्दोलन को चरम सीमा पर लाने में गाधी जी का योगदान महत्तवपूर्ण था।
गांधी जी को सारा देश बापू के नाम से पुकार करता था । भाईचारा और देशप्रेम के संदेश को जन-जन तक पहुचा पाना सम्भव नहीं था पर बापू के अथक प्रयासो से यह सम्भव हो सका । डाण्डी मार्च या फिर असहयोग आन्दोलन आदि में गाधी जी ने सम्पूर्ण भारत को एकता के सूत्र में पिरो कर सम्पूर्ण शक्ति को एकत्रित कर यह दिखाया कि हम अलग जाति ,धर्म एवं समप्रदाय के भले ही है। परन्तु हम सब भारतवासी है उसके बाद कुछ और । अनेक आन्दोलनों के दौरान जेल जाना पडा था बापू को। और अपनी जिद और भूख हडताल से ब्रिटिश शासन को झकझोर दिया था। और अन्तत बापू ने " अग्रेजो भारत छोडो" के साथ भारत की आजादी के द्वार को खोल दिया। बापू का एक और सम्बोधन था "महात्मा" का। यह सम्बोधन रवीन्द्र नाथ टैगोर ने दिया था।
एक ऐसा व्यक्तित्व इस दुनिया में आया था जिसने न धर्म, न जाति , न सम्प्रदाय और न रंगभेद, न क्षेत्रियता बल्कि मानवता का पाठ सम्पूर्ण विश्व को पढाया । एक बार गांधी जी को साउथ अफ्रीका में रंगभेद को लेकर ट्रेन में चढ़ने नहीं दिया गया। तब उस समय गांधी जी वकालत कर रहे थे।तभी से गांधी जी समाज में व्याप्त बुराईयों केखिलाफ लड़ने संकल्प किया।
आज हम सभी ने बापू के विचारों से भटक गये । सत्य और अहिंसा के रास्ते को छोड़ असत्य और हिंसा के रास्ते का रास्ता पकड कर चल रहें हैं। न भाई चारा और न बन्धुत्व कुछ भी देखने को नहीं मिल रहा है , सब कुछ स्वार्थ पर आकर खत्म हो चुका है। निर्धन असहाय को शोषित किया जा रहा है ।
भष्टाचार अपने चरम सीमा पर है , किसी को कोसी से कोई मतलब नहीं । सब स्वहित के भावना से प्रेरित है। यदि आप हम इसी तरह के कार्य में लिप्त होकर बापू को याद करते है तो यह धोखा देना है स्वयं को। अगर बापू को याद करना है तो उनके दिखाये सत्य मार्ग का पालन करो। मानवता को मत भूलो।
२अक्तूबर को हम पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जन्मदिन भी मनाते है। परन्तु एक दुखद बात यहहैकि सारा देश शास्त्री को उपेक्षित करता है ।

1 comment:

Udan Tashtari said...

बापू एवं शास्त्री जी को जन्मदिन पर शत शत नमन।