भारत एक तरफ तो अपने को विकास से विकसित तक मान रहा है ।कभी -२ हमारे सामने ऐसी घटनाएं सामने आ जाती है, जिससे हमें संदेह भरी नजरों से देखा जाता है। हाल ही भारत के कुछ शहरों में हुई किसानों के द्वारा आत्म हत्याएं और कल हुई भूख से मौत । क्या यह घटनायें प्रश्न चिन्ह नही खडा़ करती हैं। एक तरफ तो हम विदेशों में यह ढिढोरा पीटते है कि हमारे यहां पर इतना अन्न उत्पादन होता है कि हम बाहर के देशों को भी अनाज भेजते है परन्तु जो भूख से मौतें हो रही है इसका क्या मतलब समझा जाय ।कल देश की राजधानी नई दिल्ली के ग्रेटर कैलाश इलाके में एक ४५ वर्षीय व्यक्ति की भूख से मृत्यु हो गयी । और इसके दो महीने पहले दिल्ली में भूख से तीन बहनों की हालात इस कदर हो गयी थी जिससे एक जो जान से हाथ धोना पडा ।और दो को गम्भीर हालात में अस्पताल में भर्ती कराया गया । ये हाल है राजधानी के जहां पर की केन्द्र और दिल्ली सरकार दोनों है और ऐसी घटनाओं की अनदेखी कर रही है। तो भला देश के अन्य जगहों का तो हाल क्या होगा यह समझना बहुत कठिन न होगा। आये दिन हमारे बीच इस तरह की घटनाएम हो रही है जिसको की नजरअंदाज नही किया जा सकता है। बल्कि जरूरत है इस परिस्थति से छुटकारा पाने की इस समस्या का हल ढूढने की।क्यों कि कब तक भला सच्चाई से मुह चुराते रहे गे।
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