जन संदेश

पढ़े हिन्दी, बढ़े हिन्दी, बोले हिन्दी .......राष्ट्रभाषा हिन्दी को बढ़ावा दें। मीडिया व्यूह पर एक सामूहिक प्रयास हिन्दी उत्थान के लिए। मीडिया व्यूह पर आपका स्वागत है । आपको यहां हिन्दी साहित्य कैसा लगा ? आईये हम साथ मिल हिन्दी को बढ़ाये,,,,,, ? हमें जरूर बतायें- संचालक .. हमारा पता है - neeshooalld@gmail.com

Thursday, October 18, 2007

आइये कोशिश करें


क्या हम लोगों को यह बात मान लेनी चाहिए कि केवल कानून बनाने मात्र से ही लोगों के सोच में परिवर्तन नहीं आने वाला है। तो मेरे विचारों मे यह बात सही है । जरूरत है लोगों को जागरूक करने की । पर इस तरह की जागरूकता लाने के पीछे किस तरह की पहल की आवश्कता की होगी। अगर हम बात शिक्षित समाज की करें तो हम पातें है कि यह शिक्षित समाज ही इस बात के लिए कुछ ज्यादा ही जिम्मेदार है। मैं आज बात करना चाह रहा हूँ धूम्रपान की। आपने देखा होगा कि आमतौर पर खुली जगह जहां पर हर तरह के लोग होते है और वहां पर यदि कोई एक व्यक्ति इस तरह की हरकत करता है तथा उसके इस तरह के कृत्य से आप को या सभी को कोई दिक्कत होती है तो यहां पर हम लोगों का ये दायित्व हो जाता है कि उस अकेले व्यक्ति को धूम्रपान करने के लिए मना कें आम तौर पर हमारे अन्दर यह बात आ जाती है कि भला हम क्यों फालतू का टेंशन ले पर आप को यह जान कर शायद परेशानी हो को आजकल जिस तरह से बीमारियां फैल रही है धूम्रपान से , उसमें सबसे जयादा जो प्रभावित होता है वह है जो कि कभी भी धूम्रपान नहीं करता है। इस लिए आप को यहां पर एक समझदार नागरिक के कर्तव्य का निर्वहन करना चाहिए ।सरकार की मानें तो उसने सभी तम्बाकू के सामान बनाने वाली कम्पनियों को यह निर्देश दिया है कि कम्पनी को अपने उत्पाद को बेचते समय इस बात को लिखना होगा कि यह धूम्रपान सेहत के लिए हानिकारक है। पर इससे क्या कोई फर्क पडता है ?मुझे तो आज तक यह बात समझ में नही आयी और नहीं इस लिखने के पीछे का कोई उद्देश्य ही समझ में आया पर हां एक बात यह जरूर देखने को मिली कि इस उद्योग से सरकार को एक मोटी रकम अवश्य ही प्राप्त होती है। मैनें कई दुकानों पर देखा है कि वहां पर साफ और सुन्दर अक्षरों में यह लिखा हुआ मिल जाता है कि १८ वर्ष से कम उम्र के लोगों के लिए धूम्रपान निषेध है पर वास्तविकता ये है कि यह मात्र हाथी का दांत दिखावा मात्र है और खाने का अलग ही है ।कुल मिलाकर मेरे कहने का जो मतलब है वह है कि एस प्रकार से क्या हम लोगों को यह संदेश देने में सफल होते है कि आप तम्बाकू का सेवन न करें तो मेरा यही मानना है कि आज कि युवा पीढी बहुत ही मस्त अन्दाज में धुएं की गिरफ्त में फसती जा रही है। खुले तौर पर सब कुछ हमारे समाने है पर हम कोई प्रयास नहीं करते है।आप को यह बात अवश्य ही मालूम होगी की सरकार नें धूम्रपान रोकने के लिए एक विधेयक भी पारित किया और इस विधेयक में यह बात साफ तौर पर कही गई है की सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान करना कानूनी जुर्म है । और जो भी इसका उलल्घन करेगा उस पर ५०० का जुर्माना होगा। पर क्या आप ने आज तक किसी को यह जुर्माना होते देखा है या फिर कहीं पर पढा़ शायद आप जवाब होगा नहीं। जी सही भी है कि भला कैसे यह हो ? तो जनाब मेरा सभी से यही अनुरोध है कि हम केवल इतना करें कि जब भी हमारे साथ ऐसी को बात हो तो हम उसका विरोध करें । तो बात कुछ बन सकती है। क्यों कि " कौन कहता कि आसमां में शुराख नहीं हो सकता, अरे तबियत से एक पत्थर तो उछालों यारों। कोशिश करना हमारी आदत है।

1 comment:

Udan Tashtari said...

सही है इसी तरह कुछ हद तक इस पर बंधन लगाया जा सकता है. अच्छा संदेश.