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Friday, October 19, 2007

टी आर पी

टी आर पी को बढ़ाने का सपना जैसे सभी चनैलों को लग गया है। और इस काम को लेकर किसी भी हद को पार कर गये हैं ये टी वी चैनल वाले। सभी आगे बढ़ना अच्छा लगता है पर जो तरीका अपनाया जा रहा है वो पूर्णः गलत है। आपने अभी हाल ही की घटना को देखा कि कितनी दुर्भाग्यपूर्ण थी ये(उमा खुराना मामला)। टी आर पी यानी टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट । वैसे माना जाता है कि जिस चैनल की टी आर पी जितनी ज्यादा होती है और उसकी दर्शक संख्या उतनी ही अधिक होती है ।आमदनी भी अधिक होती है। पर क्या टी आर पी को सही मान लेना चाहिए? वैसे ये चैनल भला कितने जगह पर ये मशीनों का प्रयोग करते है ?तो आप को ये बताना चाहूगा कि मात्र कुछ ही शहरों के कुछ ही घरों में ।तो भला कैसे सही मान लिया जाय की किस टी वी की लोक प्रियता अधिक है पर हमारे सामने मजबूरी यही है कि हमारे पास वर्तमान समय में और कोई मानदण्ड नही है किसी चैनल की लोकप्रियता को मापने के, तो यहां ये विवशता है कि चाहे जो भी कहें ये चैनल वाले मानना होता है। आज सभी ये दावा करते है कि हम सर्वश्रेष्ठ है? पर क्या आधार इस बात के ये समझने वाली है तो उत्तर जो मिलता वह कुछ संमझ से परे होता है।यहां पर सरकार को कुछ मानक तय करने चाहिए।

1 comment:

Atul Chauhan said...

सहमति व्यक्त करता हूं।