समय के साथ हिन्दी का चलन भी बदला , हिन्दी ने अपने विकास के लिए अंग्रेजी भाषा की शरण ली । और जो वर्तमान बोली जाने वाली हिन्दी है वह हिन्दी अंग्रेजी का मिला रूप ( हिंग्लिश ) है । वैसे यहां पर हिन्दी के गिरते स्तर के लिए कई प्रमुख बातें जिम्मेदार हैं - हम वैश्विक भाषा को काम काम तक सीमित न करने जीवन के एक अंग बना लिये हैं , जैसे इसके बगैर जीवन न चल सकेगा । साथ ही एक स्तर को रूप में हम हिन्दी को हीन भाषा समझते हैं । वैसे तो सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा जरूर हिन्दी है पर जिस स्थान पर हिन्दी है वह हमारे लिये सुखद नहीं कहा जा सकता है । परन्तु इसके बाद भी जरूरी यह है कि हम किसी और भाषा से तुलना न करें और न ही ईष्या - द्वेश बल्कि प्रयास करें हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए । कुछ लोग कहते हैं आखिर किस प्रकार हम ये कार्य कर सकते हैं तो सीधा सा जवाब है - कि हम खुद से ही शुरूआत करें और परिवार तब ये बात बढ़ायें धीरे - धीरे ही परिवर्तन संभव होगा । कल यानी १४ सितंबर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है और एक साल के लिए हम हिन्दी को भुल जाते हैं । इसीलिए यह दिन बनाया गया ताकि याद रहे ।
जन संदेश
Saturday, September 12, 2009
खिचड़ी हो गयी है आज हिन्दी की
आज खिचड़ी की याद ताजा हो गयी । किसी भी दफ्तर में जाओं या किसी संस्था में वहां शुद्ध भाषा ( हिन्दी ) का प्रयोग गुनाह हो गया है । जब तक एक वाक्य में चार पांच इंग्लिश के शब्द नहीं बोलते सामने वाला मुंह बाये ऐसा देखता है जैसे वह कुछ सुन ही न पा रहा हो और कुछ भी समझने में पूरी तरह से असमर्थ हो । तो इस तरह हो रहा है हिन्दी भाषा का विकास । वैसे हमेशा से यह प्रश्न उठता रहा कि विदेशी भाषा की वजह से हिन्दी की यह दशा है । परन्तु यदि देखा जाय तो कोई भाषा के विकास को तभी देखा जा सकता है जब समयानुसार अपने आपको बदल ले । और ऐसी ही भाषा अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंच पाती है । साथ ही ऐसे में कई भाषाएं बीच में ही दम तोड़ देतीं हैं । तो किसी भाषा विशेष से जलन या ईष्या रखना किस तरह से उचित होगा ? वैसे आमतौर पर हम वही भाषा अपनाना चाहते हैं जो आसान और प्रयोग रूप से सरल हो । तो ऐसें में अंग्रेजी सबसे आसान दिखती है ।
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5 comments:
यह भी खि़चड़ी है:
गुनाह और अंग्रेजी : अपराध और आंग्लभाषा
:-)
बाक़ी सब बढ़िया है।
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Carbon Nanotube As Ideal Solar Cell
आज हिन्दी की जो दशा है वह बहुत सबल नहीं कही जा सकती है । आपका सुझाव बहुत ही अच्छा लगा । सभी को कोशिश करनी होगी ।
अपन तो हिंग्लिश को हास्य का विषय ही मानते हैं और अपनी हास्य रचनायें हिंग्लिश में ही रचते हैं.
बचपन में सुनी एक कविता की दो पंक्तियां याद आ रही हें :
पहने कुर्ता पर पतलून
आधा सावन ,आधा जून.
देखा जाये तो सम्प्रेषण के लिये भाषा का अधिक महत्व नहीं है.
परंतु यह हमारा अंग्रेज़ी प्रेम ही दिखाता है.
अब यह परिताप हमरा स्थाई भाव बन गया है !
लेकिन हमे हमेशा कोशिश करनी चाहिये कि जितना हो सके सही हिन्दी लिखे ओर बोले, अगर कोई मजाक करे तो उसे वही डांट दे.... फ़िर देखे, मै हमेशा यही करता हुं, कोन कहता है कि हिन्दी अनपढो की भाषा है अपने मै आत्म विशवास पेदा करो
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