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Friday, September 25, 2009

वत्स को मारो गोली ..........फिर पर्दा गिराओ न ( हास्य )

रामलीला के मंच पर सीता स्वयंवर का दृश्य चल रहा था । भगवान शंकर का धनुष रखा था , इस धनुष को कोई राजा न उठा पा रहा था । रावण को भी यही अभिनय करना था । मगर उस दिन रावण का अभिनय करने वाले कलाकार का प्रबंधक से झगड़ा हो गया । वह राम लीला बिगाड़ने पर तुला था । रावण ने धनुष उठाकर तोड़ दिया और हुंकार लगाई - अरे जनक मैंने इस धनुष को तोड़ दिया बुला सीता को । मंच पर सभी कलाकार आश्चर्यचकित थे । तभी जनक का अभिनय करने वाले पात्र ने कहा - अरे मूर्खों ये कौन सा धनुष ले आये हो , असली शिव धनुष तो अन्दर रखा है । इसके बाद पर्दा गिरा ।
एक कस्बे की दूसरी घटना - लक्ष्मण मूर्छा में थे , राम मूर्छित लक्ष्मण को अपनी गोद में रखकर विलाप कर रहे थे , हनुमान जड़ी बूटी लाने गये थे । उनके आने में विलंब हो रहा था । राम बने कलाकार का संवाद खत्म हो चुका था पर हनुमान नहीं आये । दर्शक बोर होने लगे थे । फिर भी हनुमान नहीं आये । दरअसल हनुमान ऊपर रस्सी से बंधे हुए इस प्रतीक्षा में थे कि पर्दे के पीछे से रस्सी ढ़ीली हो तो वे उड़ने का अभिनय करते हुए धीरे- धीरे नीचें उतरें । मगर रस्सी उलझ गयी और वह सुलझ नहीं पा रही थी । तब रस्सी पर तैनात व्यक्ति को यह आसंका हुइ कि अधिक देर होने पर दर्शक शोर करने लगेंगें । इस परिस्थिति में उसे यही सूझा कि रस्सी काट दी जाय । उसने रस्सी काट दी । रस्सी कटते ही हनुमान धम्म से मंच पर आ गिरे । मंच पर बैठे कलाकार को कुछ चोटें आयी । हनुमान बना कलाकार क्रुद्ध हो गया । राम ने हनुमान से कहा - वत्स हनुमान , बहुत विलंब कर दिया । हनुमान बने कलाकार ने आवेश में आकर बोला - वत्स को मारो गोली , पहले ये बताओ रस्सी किसने काटी । यह सुनकर दर्शक लोट-पोट हो गये । फिर पर्दा गिरता है ।

9 comments:

निर्मला कपिला said...

हा हा हा अरे लोट पोट तो हम भी सुन कर हो गये क्या बात है बदिया शुभकामनायें

हिन्दी साहित्य मंच said...

बहुत ही सुन्दर लगा ये हास्य । वत्स को मारो गोली । पहले ये बताओ रस्सी किसने काटी । मजेदार

M VERMA said...

मजेदार प्रसंग

sandeep sharma said...

बहुत ही खूबसूरत और शानदार रामलीला थी वो...

हा हा हा...

डॉ टी एस दराल said...

हा हा हा ! वत्स को मारो गोली.
अच्छा है.

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

निशू जी आपने तो हमारी जान ही निकाल के रख दी थी.....ब्लागवाणी पर पोस्ट का शीर्षक पढकर तो ब्लडप्रेशर एकदम से ऊपर नीचे होने लगा...दिमाग में तरह तरह के विचार आने लगे कि भई हमने ऎसी क्या गलती कर दी कि किसी को हमारे नाम से पोस्ट लिखनी पड रही है ओर ऎसी कठोर भाषा में हमारे नाम का फतवा जारी किया जा रहा है कि
"वत्स को मारो गोली"
निशू जी,जरा आगे से शीर्षक जरा ध्यान से रखा करें...कहीं ऎसा न हो कि मेरे जैसे किसी कमजोर ह्रदय व्यक्ति का हार्ट फेल हो जाए:)))

राज भाटिय़ा said...

वत्स को मारो गोली.. अरे हम भी शर्मा जी की तरह से भागे भागे आये कि देखे क्या माजरा है, भाई वत्स जी तो शरीफ़ आदमी है, इन का ख्याल रखॆ.
आज आप की राम लीला बहुत अच्छी लगी.
धन्यवाद

Unknown said...

शर्मा सर जी , मुझे इस बात का जरा भी ख्याल न रहा था । कि आपक भी उपनाम में वत्स लगाते हैं । पर मैंने इसको देखते हुए हास्य लिख दिया है । आप अपनी हृदय-गति न बढ़ाईये । आपके खिलाफ कोई फतवा जारी नहीं है ।

Mishra Pankaj said...

mast!!!