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Sunday, September 13, 2009

हिन्दी बोले हाय हाय

हिन्दी दिवस पर हिन्दी की हाय आखिर क्यों ? जिसे देखिये वहीं अपनी तान अलापे हैं । अपना अपना तर्क दिये जा रहें हैं । भाषा रो रही है और हम हंस रहे हैं कि अच्छा एक नया मुद्दा तो मिला । बात चिंता करने वालों की हो रही है ......जैसे किसी को नींद से जगा दिया गया हो और वह भौचक्का होकर सब कुछ देखने और समझने की कोशिश कर रहा हो । आज के दिन चाहे समाचार पत्र को देखिये चाहे ब्लाग को देखिये , और चाहे सड़क पर लगे बड़े बड़े विज्ञापन को देखिये सभी हिन्दी के साथ खड़े नजर आ रहें । सुबह का अखबार खोला तो मुंह सूख गया कि आखिर आज ये उदासीनता कैसे? हिन्दी दिवस पर भी कोई प्रचार नहीं कोई , विज्ञापन नहीं । ऐसा कैसे हो सकता है ?

अखबार के पन्नों को पलटते-पलटते आखिर में वह पृष्ठ भी आया कि जहां आज हिन्दी का रोना रोया जा रहा है । सभी तरह बधाईयों के विज्ञापन देख क्षणिक खुशी से मन तृप्त हो जाता है परन्तु कुछ पल बाद यह आशा निराशा में बदल जाती है । जिसको खुद कभी हिन्दी में बात करते , काम करते नहीं सुना , देखा वह भी आज के दिन सीना फुला कर हिन्दी हिन्दी कर रहा है । वैसे यह क्षणिक जागरूकता अगर स्थाई होती तो आज इस तरह हिन्दी एक दिवस मात्र के लिए मोहताज न होती ।

अंत में बस यही कहना है कि हम खुद से आज के बाद हिन्दी का कितना प्रयोग करते हैं और इसके बढ़ावे केलिए क्या करते हैं ? यही मुख्य बात रहेगी । जय हिन्द , जय हिन्दी

4 comments:

Khushdeep Sehgal said...

हैलो, लेडीज़ एंड जैंटलमैन, टूडे हमको हिंडी डे मनाना मांगटा...

अंग्रेज़ चले गए लेकिन अपनी....छोड़ गए...

हिन्दी साहित्य मंच said...

निरंतर प्रयास की जरूरत है केवल आज ही हो हल्ला मचाने से कुछ भी न होगा । हिन्दी दिवस की बधाई

संगीता पुरी said...

'वचने किम दरिद्रता' की तर्ज पर 'लिखने में क्‍या जाता है' .. पर जितना हमलोग लिख रहे हैं .. उतना काम भी शुरू कर दें .. तो भाषा को बचाने से कौन रोक सकता है .. इतनी बडी आबादी है हम हिन्‍दी भाषियों की .. ब्‍लाग जगत में आज हिन्‍दी के प्रति सबो की जागरूकता को देखकर अच्‍छा लग रहा है .. हिन्‍दी दिवस की बधाई और शुभकामनाएं !!

राज भाटिय़ा said...

अरे हम तो इस अग्रेजी को भी नही रोते... लेकिन लानत मारते है उन काले अग्रेजो को जो अपनी मां को छोड कर किसी डाकिन को माम कह रहे है