जन संदेश

पढ़े हिन्दी, बढ़े हिन्दी, बोले हिन्दी .......राष्ट्रभाषा हिन्दी को बढ़ावा दें। मीडिया व्यूह पर एक सामूहिक प्रयास हिन्दी उत्थान के लिए। मीडिया व्यूह पर आपका स्वागत है । आपको यहां हिन्दी साहित्य कैसा लगा ? आईये हम साथ मिल हिन्दी को बढ़ाये,,,,,, ? हमें जरूर बतायें- संचालक .. हमारा पता है - neeshooalld@gmail.com

Sunday, December 2, 2007

अब तो जागो


"इंतहा हो गई इंतजार की , आयी ना कुछ खबर इंसाफ की"......... यही दास्तां है भोपाल गैस त्रासदी के पीडितो की। २ दिसम्बर १९८४ की उस काली रात की यादें भले ही भोपाल के पाँश इलाकों में रहने वाले नागरिकों के जहन में धुधंली हो गई हो परन्तु जो लोग इस त्रासदी से प्रभावित हुए वे उसे भूल जाना चाहते हैं। २३ साल पहले की त्रासदी के एक ख्याल से लोगों की रूह कांप जाती है। यूनियन कारबाइड के कारखाने से हुई उस जहरीली गैस के रिसाव ने लोगों को ताउम्र ग्रसित कर दिया है। सरकार ने मुआवजा तो बाटां पर उसमें भी उचें कद के लोग मलाई खा गये।
सरकारी आकडों के मुताविक अभी तक मात्र दो किश्त मुआवजे की अदा की गई है। वह भी अभी तक मुआवजे का ब्याज मात्र ही वितरीत हुआ है। असल तो अभी सरकार के अधीकार में है। तथा जो लोग भीषण रूप से पीडित हैं वह तो आज भी इंसाफ मिलने का इंतजार कर रहें है। गैस पीडितों के स्वास्थ्य हेतु निर्मित चिकित्सालय भी शहर से इतना दूर है कि मरीज जिनके पास और कोई साधन नहीं हैवज जाते-जाते ही दम तोडंते है। सरकार को यह बात समझनी होगी कीपराए धन को सम्मान वितरण कर देना चाहिए अन्यथा इतने गरीबों की हाय ले डूबेगी।


मोनिका के द्वारा

No comments: