महिलाओं का समाज में जो स्थान हम वैदिक सभ्यता में पढ़ते आये है वो स्थान आज के विकासशील भारत में नजर नहीं आती है। वैसे तो भारत के कुछ प्रमुख शहरों महिलाओं की दशा बहुत ही अच्छी है। पर यदि हम भारत के ग्रामीण इलाकों की बात करें तो आकडों में अत्यधिक असमानता देखने को मिलती है। उत्तर प्रदेश , बिहार , झारखण्ड, छत्तीसगढ़ आदि ऐसे प्रदेशों में शुमार किये जा सकते हैं। जहां पर आज भी महिलाओं का सामाजिक जीवन बहुत ही कष्टदायी हैं। बात यदि शिक्षा की करें तो सुधार हुए हैं पर अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है। गावों में बसने वाला भारत की यह दयनीय दशा को हम छिपाकर अपने आप को धोखा मात्र ही देते हैं।
भारत के गावों की सोच अभी वही पुरानी है ।जो १०० वर्षों पहले थी। कि आखिर महिलाओं को शिक्षा की भला क्या आवश्यकता ? इस शिक्षा में खासकर पिछडी जातियां , अनुसूचित जाति और अनुसूचित जातियां बहुत ही पीछें हैं। शिक्षा का प्राथमिक चरण भी न पार कर पाना इस समाज की मजबूरी भी लगता है । कारण स्पष्ट नजर आता है बेरोजगारी और जनसंख्या वृद्धि। लडकियां आज हमें सरकारी विद्यालय में उस समय नजर आती है जब या तो छात्रवृत्ति या खाने के लिए चलने वाला भारत सरकार का 'मीड डे मील' कार्यक्रम होता है। यहां पर सरकार की एक बडी़ उपलब्धि यही है कि कम से कम ये लडकियां आज अपने घर से कम से कम बाहर तो आयी है। वैसे कुछ न कुछ तो फर्क होता ही है भले कोई भी बहाना हो। भारत में सक्षारता दर बढाना ही बडी़ बात लगती है क्योंकि आज देश की आबादी लगभग १ अरब २५ करोड़ के पास है।वैसे अगर इन पिछडे़ राज्यों पर सरकार यदि नियंत्रण पा लती है तो भारत में महिला शिक्षा का स्तर जरूर सुधर जायेगा। और फिर शहरों की तुलना हम गावों मे बसने वाले भारत से गर्व से कर सकेंगे।
भारत के गावों की सोच अभी वही पुरानी है ।जो १०० वर्षों पहले थी। कि आखिर महिलाओं को शिक्षा की भला क्या आवश्यकता ? इस शिक्षा में खासकर पिछडी जातियां , अनुसूचित जाति और अनुसूचित जातियां बहुत ही पीछें हैं। शिक्षा का प्राथमिक चरण भी न पार कर पाना इस समाज की मजबूरी भी लगता है । कारण स्पष्ट नजर आता है बेरोजगारी और जनसंख्या वृद्धि। लडकियां आज हमें सरकारी विद्यालय में उस समय नजर आती है जब या तो छात्रवृत्ति या खाने के लिए चलने वाला भारत सरकार का 'मीड डे मील' कार्यक्रम होता है। यहां पर सरकार की एक बडी़ उपलब्धि यही है कि कम से कम ये लडकियां आज अपने घर से कम से कम बाहर तो आयी है। वैसे कुछ न कुछ तो फर्क होता ही है भले कोई भी बहाना हो। भारत में सक्षारता दर बढाना ही बडी़ बात लगती है क्योंकि आज देश की आबादी लगभग १ अरब २५ करोड़ के पास है।वैसे अगर इन पिछडे़ राज्यों पर सरकार यदि नियंत्रण पा लती है तो भारत में महिला शिक्षा का स्तर जरूर सुधर जायेगा। और फिर शहरों की तुलना हम गावों मे बसने वाले भारत से गर्व से कर सकेंगे।
2 comments:
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