सन २००७ में ब्लोगिंग के बारे में जाना....तब जिस रूचि और उत्सुकता के साथ ब्लॉग लिखता था वह उत्सुकता दिन_ब_दिन कम होती गयी . ऐसा नहीं की समय नहीं मिलता ..लेकिन लिखने की इच्छा ही नहीं होती .... यग्रीगेटर पर जाकर कुछ चुने लोगों को पढना आज भी अच्छा लगता है ....लेकिन लिखना न बाबा न ..... जब विश्लेषण करता हूँ पुराने दिनों का ...तो ब्लॉग से दूर जाने के कई कारण पाता हूँ .....
१_ प्रोत्साहन
ब्लोगिंग के शुरुआत में लिखने का प्रमुख कारण था की लोग मेरा लिखा पढ़े ....मेरी सोच भी लोगों तक पहुंचे ....जब की ऐसा कम ही होता ...किसी नये ब्लॉग पर ब्लॉगर जाना कम ही पसंद करते हैं ..कुछ ब्लॉगर को अगर छोड़ दिया जाये तो ...आमूमन ऐसा इसलिए भी होता है की हम नए ब्लॉग को कमतर आंकते है ...जो की नहीं होना चाहिये ...ऐसा होने पर ब्लॉगर पूरी लगन से लिखता है लेकिन परिणाम विपरीत मिलता है ..जिससे नए ब्लॉगर हतोत्साहित होते है ...फिर वह इस निराशा को दूर करने के और रस्ते तलाशता ....जो की नकारत्मकता का भी हो सकता है ....लेखन में चटकारापन , कुछ बहुत ही भड़काऊ या मसालेदार ...ऐसा मेरा मानना है ...हो सकता है आप इससे इत्तेफाक न रखते हों ..
२---- विवाद
वर्तमान में कुछ ब्लागरों ने हिट होने का नया तरीका अपनाया ....किसी पुराने लेखक से पंगा ले लो ...वह चाहे सही हो या फिर गलत... नाम तो होगा ही ....इसको हम तुच्छ लेखन कह सकते है पर यह तरीका बहुत हद तक कामयाब होते देखा ...अब यह किस प्रकार से सही है इसको कैसे बताया जाये ...
३ -----गुटबाजी
ब्लॉग लिखने पर ये नहीं सोचा था की कुछ इस तरह की राजनीती भी यहाँ होगी ....पर किसी को आसानी से नीचा दिखाना बहुत मुश्किल नहीं है बस गुटबाजी शुरू कर दीजिये ...अब ये कौन से ब्लॉगर है इसको खुद से हम विश्लेषण कर देख सकते है ..
4...सम्मेलन
कुछ समय से ब्लॉगर सम्मेलनों ने जोर पकड़ रखा है ...कभी आपको मौका मिले तो जाकर देखियेगा.... चार दिन तक खूब फोटो आप देख पाएंगे ..इस तरह के मीट को सफल करने वाले भी कई है ...फिर हाल मेरा आज तक एक ही ब्लॉगर सम्मलेन में जाना हुआ है ..जो खाने खिलाने से जयादा और कुछ भी नहीं लगा ...
५.....सकारात्मक सोच में बदलाव
हम इन्सान होने के नाते हमेशा सकारात्मक नहीं सोच पाते ...किसी दूसरे से अपनी तुलना करने लगते है जो किसी तरह से सही नहीं है ...किसी से प्रेरणा लेना गलत नहीं पर उस जैसा बनने के लिए कुछ भी कर जाना गलत है ...
अंततः
कहना सिर्फ इतना चाहता हूँ की हम अपने लिए लिखे ....अपनी भावना व्यक्त करें ...किसी प्रकार से मतभेद के बीज न बोयें ....ताकि भाईचारा कायम रहे ...कोई किसी से असभ्य भाषा में बात न करे ... हो सकता है मेरे विचार से आप सहमत न हों पर मैंने जो देखा इन कुछ सालों में वही लिखने की कोशिश की है ....
68 comments:
नीशू जी आपने बिल्कुल सही लिखा है कि अपने लिए लिखना चाहिए , आपकी बात से सहमत हूं ।
नीशू जी चिंता जायज है पर स्थिति दुरूह नहीं है. इन सबके बाद निश्चित ही स्थितियाँ सुधरेगी.
सुन्दर आलेख
neeshoo ji , bahut hi satik post likhi aapne ....aaj kal to bilkul aisa hi ho gya hai ...blogging kisi jang ke maidan se kam nahi lagta hai ...gutbaaji ne naam me dam kar rakha hai ....kisi ka naam nahi lena hai par jo bhi aisa kar rahe hai wo jarur samalh jayen ...
aap bahut bahut aabhar
मित्र तरूणाई कभी नही मरती है और हिन्दी चिट्ठकारी भी आज इसी रूप मे है, यह जरूर है कि चिट्ठाकारी मे कुछ भटकाव है किन्तु वह मर रही है यह गलत है.... सार्थक सोच वालो की जरूरत है।
ब्लॉगिंग कभी खत्म नहीं होगी पर हां ब्लॉगर जरूर खत्म हो जाएंगे। ये सच है। पर गुटबाजी से ब्लॉगरों को बचना चाहिए। हो सके तो ब्लॉगिंग को बढ़ावा दें वर्ना बेहतर है कि इसे साफ रखें।
sahi kaha neeshoo ji vivaad gutbaaji hi ban gaya blog...
you have raised the good topic...we work hard to write a post but no one sould visit that and i have seen few who would write few lines, or just stats from google and they get big hit ...but we need to keep on writting ...truth should prevail ....
- Ram
यह रचना हमें नवचेतना प्रदान करती है और नकारात्मक सोच से दूर सकारात्मक सोच के क़रीब ले जाती है।
हमें लगता है कि हम भारतीय जब स्वतंत्र होकर कोई काम करते हैं तो स्वच्छंद हो जाते हैं. फिर इस स्वतन्त्रता में आकर गड़बड़ी फ़ैलाने लगते हैं. ब्लॉग के साथ भी ऐसा ही हुआ लगता है. आप स्वतंत्र हैं कुछ भी लिखने के लिए. कोई रोक टोक नहीं, कोई कांट छांट नहीं.... बस जो मर्जी आये मुंह उठाओ और लिख डालो....कुछ विकृत ब्लोगरों की दृष्टि में पेल डालो.
अब यदि इस पर अंकुश होता कि लिखा हुआ एडिट किया जायेगा फिर देखते लोग कैसा सकारात्मक लिखते...
आदमी कुंठा में आकर ही यहाँ अपनी भड़ास निकालता है. समाज में सधे-सीधे कहे तो इतने जूते खाए कि पूछो नहीं.....
बहरहाल जूतों से बचकर लोगों को गरियाने का एक तरीका है अब ब्लोगिंग..... वैसे प्रसिद्द होकर कौन सा नोबल पुरस्कार मिलने जा रहा है?
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
बिल्कुल सही लिखा है..
"..फिर हाल मेरा आज तक एक ही ब्लॉगर सम्मलेन में जाना हुआ है ..जो खाने खिलाने से जयादा और कुछ भी नहीं लगा ..."
चलिए सच जानकर अच्छा लगा , भविष्य में इस बात का ख्याल रखा जाएगा ..कि खाने खिलाने से ज्यादा भी कुछ हो नीशू जी । शुक्रिया
आपकी चिंता ज़ायज़ है , और वाजिब भी ..मगर सिर्फ़ दूसरों के सिर पर ठीकरा फ़ोडने से आखिर हासिल क्या और कितना होगा इसका आकलन भी जरूरी है । आप युवा ब्लोग्गर ही शायद मार्गदर्शक बन सकें , हमें अनुकरण करके खुशी ही होगी ।
सब बातों से अलग, अच्छा और सार्थक लिखते रहें, बस!
Anonymous@@@@@
Are bhai ye choro ko tarah kyun chip rahe ho , jara awakat me aao aur apni pahchan batao
NEESHOO JI ,CHHODO DUSRON KI APNI MANO APNE LIYE LIKHO .JIS KISI NE PADHNA PADHE NAHI TO APNA RASTA PAKDE..KISI KO ACHCHHA LAGEGA TO TIPPNI DEGA NAHI TO KOI FRK NHI PADTA ..DIL PAR NAHI LENA ..BADHIYA POST ..BADHAYEE
नीशू जी, आपके ब्लॉग पर बेनामी टिप्पणियां पसंद नहीं आर्इ हैं। अंतत: पर जो लिखा है, वो मन से सोच समझ कर लिखा है क्या ?
ये बेनामी जी क्या बकवास कर रहे हैं?...किसने पैसे लिए थे?और किस्से लिए थे? ...
हम तो उल्टा अजय झा जी से इस बात को लेकर नाराज़ हो रहे थे कि सारा का सारा खर्चा वो खुद क्यों उठा रहे हैं?
मैंने जो कुछ भी लिखा है वह सिर्फ मेरे अपने विचार है ...कोई मुझसे असहमत हो सकता है ...पर किसी को दुखी करना या किसी पर आरोप लगाना मेरा उद्द्देश्य बिलकुल नहीं है .... खुद अतः किसी को भी मेरे लेखन से कष्ट हुआ हो तो माफ करें .....बाकी बेनामी से जो भी कमेन्ट कर रहे है ...अपनी बात नाम के साथ कहें तो संभव है की एक खुली बहस अवश्य हो सकती है ...पर इस तरह से तू तू ...मई मई करना बिलकुल गलत बात है ...
बेनामी टिप्पणी द्वार खोलना ही संदिग्ध बनाता है।
" तब जिस रूचि और उत्सुकता के साथ ब्लॉग लिखता था वह उत्सुकता दिन_ब_दिन कम होती गयी . ऐसा नहीं की समय नहीं मिलता ..लेकिन लिखने की इच्छा ही नहीं होती .... यग्रीगेटर पर जाकर कुछ चुने लोगों को पढना आज भी अच्छा लगता है ....लेकिन लिखना न बाबा न ..... "
करेक्ट बोलता मैन, इधुर अपुन का बी ऎई्च हाल है.. अम लिखेन्गा तो बरोबर लिखेन्गा, बस लिखताइच है, पण ठेलने को दिल मुकर जाता है ।
बेनामी की बात असंगत है, प्रतिकार जरूरी है
अजय जी संयम से काम लें। यम को मत हावी होने दें। जो नहीं चाहते हिन्दी ब्लॉगिंग और इसके माध्यम से सामाजिक सद्भाव बने और कायम रहे। उन्हें अपनी धूर्तताओं में व्यस्त रहने दें। हम सब तो अच्छे कार्यों में लगे रहें। यही बात माननीय भाई गिरीश बिल्लौरे जी से हुई थी। विध्वंस करने वाले तैयार बैठे हैं। किसी भी प्रकार से येन केन प्रकारेण अहित साधना चाहते हैं, उन्हें मत सफल होने दें। कविता जी की बात पर गौर करें। नहीं तो रोज ही कोई न कोई ढपोरशंख और जलजला कुमार आयेंगे और वमन करेंगे। हम सार्थक करते रहें, वे वमन से बदलकर मनन करने के लिए बाध्य हो जायें। यह क्षणिक लोग अथाह टिप्पणियां पाकर प्रख्यात होना चाहते हैं तो उन्हें होने दें कुख्यात। पर हम अपनी क्रांति में जुटे रहें, बिगुल बज चुका है। इन्हें न तो भाव दें और न बेभाव रहने दें। जैसे उभयलिंगी होते हैं न स्त्री और न पुरुष। हिन्दी ब्लॉगिंग में अपनी पहचान छिपाकर विध्वंस मचाने वाले ऐसे लोग खुद ब खुद नकार दिए जाएंगे। न इनकी टिप्पणियों को महत्व दें और न इनकी पोस्टों को। इनका बिल्कुल नोटिस न लें। किसी बात को दिल पर न लें क्योंकि दिल से बहुत बड़ी है हमारी हिन्दी, उसे विश्वभाषा बनाने के लिए अभी से जुट जाएं। पर इन कुत्तों को भौंकने दें और हम हाथी अपनी गजमस्ती में सतत प्रवाहमान रहें। शक्तिमान की तर्ज पर हिन्दीमान बनें।
नीशू जी पहले अपनी काबिलियिअत स्थापित करिए -और संकीर्ण सोच से ऊपर उठिए ....आपने भी तो उस ब्लॉगर मीट में खाना खाया होगा ? आपका योगदान क्या बस खाना खाने तक ही सीमित था -आपकी काबिलियत वहां क्या कर रही थी ?
आपकी अपनी का हैसियत है ? कभी एक दो लोगों को भी जीवन में काहना खिलाया क्या ?
खिला के देखिये ....फिर ऐसी वाहियात पोस्ट लिखिए !
नीशू जी बेनामी की टिप्पणी आपको हटा देनी चाहिए , मुझे नहीं लगता कि जिसके पास इतनी क्षमता नहीं कि वह अपना नाम सामनें रख सके उसके साथ किसी भी तरह की बहस हो सकती है , जिस किसी को भी बहस करना होना वह अपनी पहचान लेकर आये ।
ऊपर अभी अभी पढ़ा है
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अपनी बात को आप बेझिझक कहिये
इसमें जोड़ना बाकी है
बेनामी होकर भी कहिए
कुछ भी कहिए
कहते रहिए
खुद भी कहने का ऑप्शन खुला है
कितनी ही टिप्पणियां कर दो
प्रख्याति नहीं कुख्याति तो हासिल होगी ही
और होगी क्या
हो गई है।
पर सच मानिए नीशू जी
आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी
एड्रेस बार में दीख रहा है
मीडिया व्यूह : क्या मर रही है
बतलाना चाहता हूं
मीडिया व्यूह : मर गई है।
नाम पाने का यह तरीका क्यों नीशू को रास आया।
main bhi jha ji ki bloggers meet ka hissa raha hu. bhale hi main usme shamil na ho saka, magar aakiri samay tak wahan par pahunchne ka prayas kiya. or jab tak pahucha sabhi ja chuke the, hamse to kisi paise ki maang nahi ki, neesho ji ek tarazoo me sabko nahi tolna chahiye,
or benaami tippani karne ealon se ek hi baat kahunga k agar apna naam batane or logon ka samna karne ki himmat nahin hai to comment karte hi kyon ho, aise jhandu type k log hi bloggers ko badnaam karne ka rayta bikhere hua hain
नीशू
तुमको काफी पहले से पढ़ती हूँ और तुम हमेशा बढ़िया लिखते हो ।
@ anonymous........
भाई...तू जो कोई भी है.... तूने अभी हमारे अजय झा जी के बारे में जाना नहीं है.... और तूने उनके बारे लिख कर ठीक नहीं किया है...तेरी यह बात तो सही है कि आई.पी कुछ नहीं बताता है.... और हर आठ घंटे पर आई. पी. DHCP सर्वर पर बदलता है.... लेकिन Router एक ही होता है.... किस Router पर से तू आ रहा है.... वो पूरा कनेक्शन एड्रेस बता देता है... हमने बहुतों को खोजा है.... तेरे को भी खोज लेंगे....
ब्लॉग लिखने वाले लोग किसी अन्य गृह के प्राणी नहीं ...यहीं इसी दुनिया के हैं,जिन्हें मुफ्त में एक ऐसा माध्यम हाथ लग गया है जिसे जैसा चाहे वैसा इस्तेमाल कर सकते हैं, निर्भीक होकर....
तो लोग कर रहे हैं...अपने अपने संस्कार और सामर्थ्य के हिसाब से...
अब इसमें हमें यह करना है कि जहाँ तक हो सके गलत, अहितकारी चीजों से दूर रह सकारात्मक करने का प्रयास करते रहें..लेखन केवल दूसरों के लिए ही नहीं होता, अपने लिए ही सर्वप्रथम होता है और फिर यदि उसमे जन कल्याणकारी कुछ भी होगा तो देर सबेर वह लोगों तक पहुंचेगा ही...
तो जैसे अपने जीवन का ध्येय स्वयं को सही रखते हुए कईयों के हित हेतु कर्म करना है,वैसे ही लेखन का उद्देश्य भी व्यापक हित होना चाहिए और इस मार्ग में जो भी बाधा आये ,उससे विचलित नहीं होना चाहिए...
मेरे विचार से ब्लॉग आत्म-अभिव्यक्ति का एक माध्यम है,... आमतौर पर लोग स्वान्त:सुखाय लिखते हैं... इसे इस बात से नहीं जोड़ना चाहिए कि कितने लोग इसे पढते हैं और कितने लोग नहीं. बस लिखते रहना चाहिए, आप अच्छा लिखेंगे और दूसरों का उत्साहवर्धन करेंगे तो लोग आपको पढ़ने लगेंगे... यहाँ मैं रंजना जी की बात से सहमत हूँ ...
ये बातें तो एक तरफ लेकिन नीशू जी अगर आपके मन में नारी समाज के लिए ज़रा सा भी सम्मान है, तो कृपया ऐसी घृणित टिप्पणियाँ हटा दें --- इनको प्रकाशित करके एक तरह से आप इनका समर्थन कर रहे हैं ...
-Anonymous said...
आखिर लोमड़ी अपनी खाल उतार आ ही गयी
-चिट्ठाचर्चा said...
एक जारूरी सूचना. यह anonymous रचना है. और ऊपर कमेन्ट देकर गयी है. सब लोग इस प्यासी कुतिया का बहिष्कार करो. इस को कोई **ड दे दे, बहुत दिनों से प्यासी है.
-Anonymous said...
pyaasi hoon main aaj karane do na plz
Anonymous said...
are kutiya hai ya lomdi,phaisla to kar do
-Anonymous said...
uh aah ouch
-Anonymous said...
sardar jab daalegaa tab brand yaad aayegaa.
लेख की प्राथमिकता तो गर्त में चली गयी , ये प्रतिक्रियाएं हमें ही हमारे अपनों की असलियत और हमारे संस्कारों की नींव को दिखा रही है. किसी को अपमानित करना हो तो बेनामी बन जाओ और जितनी भी अपने घर में बड़ों से गालियाँ सुनीं हों सब दे डालिए. तालियाँ बजने वाले तो बैठे ही हैं. खुद ही लिखिए और खुद ही वाहवाही करिए.
जो दिन के उजाले में निकलना नहीं जानते वे बेनामी होते हैं और ऐसे लोगों की टिप्पणियों को या तो डिलीट कर देनी चाहिए या फिर इतनी हवा नहीं देनी चाहिए कि अच्छे खासे आलेख की गहराई अपना अर्थ ही खो दे. अरे इन गालियों को बोलने के लिए आपका अपना ब्लॉग है शौक से और चारछह जोड़ कर पोस्ट करिए लेकिन दूसरे कि पोस्ट पर बकवास न करिए.
ब्लॉग जगत कि भलाई चाहे, न चाहे तो अपनी भावनाएं अपने तक ही सीमित रखे. या फिर साहस करें और खुले आम बोले.
अगर इस ब्लॉग पर कोई काउंटर हैं तो सारे आ ई पी पुब्लिश कर दो ताकि लोगो को पता लगे कि मैने यहाँ कितने अनाम कमेन्ट दिये हैं । वैसे देखने कि बात हैं कि भारतीये संस्कृति के उपासक , ब्लोगिंग को परिवार मानाने वाले मेरे एक सही कमेन्ट से इतना तिलमिला जाते हैं कि अपनी मानसिकता को दिखने मे एक पल नहीं लगाते हैं
काश सारे आ ई पी पुब्लिश होते इस पोस्ट के
हाँ कमेन्ट एक भी मत डिलीट करना ये आग्रह हैं तुम्हारी पोस्ट के विषय को सार्थकता प्रदान कर रहे हैं । जो तुमने कहा हैं यहाँ आये कमेन्ट ने वही सब साबित कर दिया हैं
@रचना जी
बन्द करिए अपनी बकवास और उल जुलूल बातें , बेनामी किसी को गाली दे रहा है और आप उसे सार्थक करार दे रही हैं , ।
Mithilesh dubey
wo to mujeh bhi dae rahey haen aur aap ki bhasha ko salam
मुझसे कहा जा रहा है बताने के लिए इसलिए यहाँ एक सामान्य सी बात लिख रहा कि आईपीसी की धारा-499 के तहत नेट के जरिये किसी को परेशान करने या अपशब्द कहने पर केस दायर किया जा सकता है। अधिक जानकारी यहाँ है
कल पोस्ट लिखने के बाद आज आकर देखा तो बात बहुत हद तक बिगडी हुई लगी ....बेनामी से भी बहुत कुछ गलत कहा गया . जिसको हटा देना ही उचित समझता था सो हटा दिया . आरोप और चेतावनी दोनों का स्वागत है ...आप बिलकुल स्वतंत्र है ...जो कुछ भी मैंने लिखा है वह मेरा अपना विचार है जिस पर मैं कायम हूँ ...
आप सभी के विचार जानकर अच्छा लगा ...
@ neeshoo
आपके द्वारा दी गई प्रतिक्रिया के बाद मेरी पिछली टिप्पणी की आवश्यकता नहीं रह गई है अत: उसे हटा रहा
हम अपने लिए लिखे ....अपनी भावना व्यक्त करें ...किसी प्रकार से मतभेद के बीज न बोयें ....ताकि भाईचारा कायम रहे ...कोई किसी से असभ्य भाषा में बात न करे...
...yahi blogging ke udeshya hona chahiye... bilkul sahi aapne...
Saarthak lekh aur chintan ke liye bahut dhanyavaad
वैचारिक तौर पर लड़ाई-भिंडाई तो होती रहनी चाहिए। इस लड़ाई-भिंडाई में आपको यह ध्यान तो रखना ही होगा कि आप कहां खड़े है किसके साथ खड़े है।
पक्षधरता के समय सिर्फ और सिर्फ इस बात का ख्याल रखा जाता है कि वास्तव में किसकी नीयत सही है और किसकी नहीं। कौन ज्यादा सुलझा हुआ है और सरल तथा साफ है। आपकी पोस्ट को पढ़ते-पढ़ते यहां तक आ गया हूं।
लोगों की टिप्पणियों को देखकर लग रहा है कि सबने खूब धींगामस्ती की है। इस धींगामस्ती में वे लोग भी शामिल है जिनका नाम ब्लागजगत बड़े आदर के साथ लेता है।
कुछ ऐसे लोग भी है जो हमेशा यह अच्छी सलाह ही देते हैं कि भाई तुम तो किसी पचड़े में मत पड़ो।
पोस्ट की भाषा तो संतुलित है लेकिन टिप्पणियों की भाषा को देखकर कुछ लोगों का विचलन संभव है। मुझे यह सब सहज इसलिए लगता है क्योंकि साहित्य की जो वर्तमान धारा है वहां इससे ज्यादा खौफनाक चल रहा है।
हां आपकी पोस्ट पर आई टिप्पणियों को देखकर मुझे उन भाषा वैज्ञानिकों की याद आ रही है जो मेरी पिछली दो-तीन पोस्टों पर तिलमिला उठे थे। तब सबको यही लग रहा था कि मैं असभ्य भाषा का प्रयोग कर रहा हूं। धन्य है आप लोग।
भाषा के रक्षकों, संस्कृति की रक्षा की गुहार लगाने वाली देवियों अब आप लोग चुप क्यों है।
ओह समझा.. आप बोलते भी तब है जब आपको अपनी पोस्ट ऊपर चढ़ानी होती है। बहती गंगा में हाथ-पांव के साथ शरीर धोने वालो लेक्चर पिलाना बहुत आसान होता है।
@ राजकुमार सोनी
सोनी जी मैंने तो खूब प्रयास किया। नीशू जी से बात करने की भी कोशिश की है पर उनसे बात नहीं हो सकी है या वे नहीं करना चाहते होंगे। फिर गांधी जी ने कहा है कि सोते हुए को जगाया जा सकता है परन्तु जो सोने का बहाना कर रहा है उसे नहीं जगाया जा सकता। तो सोनी जी ये तो बहाना करने वालों में से हैं कि लोगों का इस बहाने इन पर ध्यान तो जाएगा ही। और बचपने में अगर यह ऐसा कर रहे हैं तो इनका कसूर नहीं है। सिर्फ आपकी टिप्पणी देखकर मैं यहां कहने आया हूं अन्यथा तो इनको और इनके जैसे अच्छे और सभ्य लोगों को इग्नोर करने का तरीका बिल्कुल जायज है और सभी को वही अपनाना चाहिए।
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