मेरठ रहते हुए कुछ ही महीने बीते हैं .........कभी कभी जब ऑफिस से छुट्टी मिलती हैं ( साप्ताहिक ) तो शहर( मेरा ऑफिस शहर से कुछ दूरी पर है) जाना होता है......शहर में घूमते खरीदते ....एक शाम रेड लाइट एरिया ( कबाड़ी बाजार ) पहुच गया ...........जो कुछ आजतक वेश्यवों के बारे में देखते ( फिल्मों में ) आया था उसको हकीकत में देखना वाकई आसान नहीं था ( खुद तो आत्मग्लानी हो रही थी )........ज्यादा देर तक रुक न सका वहां ........मकान पुराने जमाने के ......भार्जे ऐसे की कभी भी गिर सकते हैं .........और भार्जे से झांकते कुछ चेहरे .....जिस पर कास्मेटिक पुता हुआ ........देखने में आकर्षित करते हुए ........पर ज्यादा देर वहां पर रूकना संभव नहीं .........ह्रदय में हल चल (कुक्ड को हल्का महसूस कर रहा था ) शायद जैसे सब कुछ संत हो गया हो .......
लेकिन यह हमारे
समाज का घिनौना सच हैं ...........सेक्स वर्कर ....वैसे तो आधुनिक समय की शैली में सेक्स वर्कर शब्द आया ......वरना भारतीय समाज में " रंडी " जैसे शब्द का इस्तेमाल किया जाता था ..........हममे से कई जिस शब्द को बोलने से कतराते हैं ........सोचिये उनकी जिंदगी कैसी होगी ? वैसे तो भारत सरकार ने अब तक सेक्स वर्करों की संख्या लगभग ७ लाख के करीब आंकी है...पर स्वास्थय मंत्रालय के अनुसार करीब २२.७ लाख सेक्स वर्कर हैं ......दिल्ली के जी बी रोड पर अनुमानित सेक्स वर्करों की संख्या ४०००० के करीब है...भारत में प्रदेश vaar सेक्स वोर्करों की को देखा जाय तो आन्ध्र प्रदेश में १ लाख सेक्स वर्कर हैं ...जबकी दुसरे स्थान पर कर्नाटका हैं जहाँ पर करीब ८०००० सेक्स वर्कर हैं ..... जबकि नाको के अनुसार भारत में करीब १२.६३ लाख सेक्स वर्कर हैं .... ये तो रही आकड़ो की बात .........
लेकिन देश की इतनी बड़ी आबादी जो की अँधेरे में अपना जीवन गुमनामी में के साथ गुजार रही है क्या उसको संवैधानिक अधिकार नहीं मिलने चाहिए ? सभी को सेक्स वर्कर से ज्यादा हमदर्दी हो या न हो पर क्या इनके लिए काम नहीं किया जाना कहिये ? समाज की मुख्या धारा में शामिल करने के लिए आगे आकर प्रयास करना होगा ....माननीय उच्च नयायालय ने दो पुरूष या महिला के बिच के सम्नंध को जब सही ठहराया तो क्या सेक्स वर्करों के लिए कानून नहीं बनना चाहिए .........बिलकुल बनना चाहिए ..जिससे सेक्स वर्करों को भी एक सामाजिक स्टार मिल सके .....और हाँ इससे जुड़े बिचुलिये को भी क़ानून के दायरे में लाया जा सके ............साथ ही हम जिस भी चीज को नहीं देखते या छिपाते हैं क्या वो नहीं हो रही होती ? होती है पर बहुत ही भयानक रूप में .................आमतौर पर माना जाता है की सेक्स वर्कर किसी न किसी परेशानी के कारन इस पेशे से आई होती हैं .....तो ऐसे लोगो को पुनर्वास कराया जाना चाहिए ........जिससे समाज के सच में झूटी शान के सफेद पोश चेहरे हो सामने लाया जा सके ............
1 comment:
सामाज का एक नग्न सत्य -
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