रोज ही ऑफिस आने पर ब्लॉग एक नज़र जरुर देख लेता हूँ ......समय कम होता है इसलिए भी ऐसा करना मज़बूरी है...........गुजरे साल में कई ब्लॉग पर कभी कभार लिख देता था ........पर इन कुछ महीनो में ऐसा करने में असमर्थ रहा ........अभी कुछ दिनों से अपने ब्लॉग पर ब्लोग्गिं में संगठन का विरोध कर रहा हूँ .......( यह सार्थक है या नहीं इस पर पहले भी बहुत विवाद हो चूका है) .........पर मैंने जब ब्लॉग खोला तो देखा की ...नुकड़ ब्लॉग मेरी सूचि से गायब था ..जिसका मैं सदस्य हूँ ..............अविनाश वाचस्पति जी ने ईमेल कर जुड़ने को कहा था .......मैंने उनकी बात मान ली थी...पर बिना बताये मुझे अविनाश जी ने क्यूँ हटाया ?
वैचारिक मतभेद और तानाशाही के बीच इस तरह की घटिया कारवाई को बिना बताये करना कितना जायज है अविनाश जी ?
और वैसे भी मैं खुद नुक्कड़ पर लिखने के लिए अपने आप से तो गया नहीं था ...बल्कि आपने खुद ही आमंत्रण देकर बुलाया था ...फिर इस तरह से बिन बताये चोरी चुपके से नुक्कड़ से हटाने के पीछे क्या वजह है?
अविनाश जी अगर आप विरोध के बदले ये कारवाई कर रहे हैं तो ठीक है पर जब खुद पर इस तरह का कोई मामला आएगा तो रिरीआइयेगा नहीं ............और हाँ वैसे भी आप लोग तो सम्मानित ब्लोगर हैं न ? ....................तो इस तरह का सम्मान आपको ही मुबारक ..............जिससे आपकी शोभा बदती हो .........गुटबाजी और संगठन का मैंने विरोध किया है और करता रहूँगा .........पर विरोध को सहने की आदत शुरू कर लीजिये ..............क्यूंकि चापलूसी हर जगह मिलती होगी पर यहाँ नहीं मिलेगी ..............जवाब तो क्या खाक देगें आप ..........उसके लिए भी कुछ चक्कर चलाइये न जिससे काम बन जाये ......
38 comments:
पुरुष की आंख कपड़ा माफिक है मेरे जिस्म पर http://pulkitpalak.blogspot.com/2010/05/blog-post_9338.html मेरी नई पोस्ट प्रकाशित हो चुकी है। स्वागत है उनका भी जो मेरे तेवर से खफा हैं
ये सही नहीँ है.. घबरा गये होंगे कि कहीं उनके नुक्कड पर कुछ लिख लिखा न दो इसलिये किबार बन्द करके बेठे है...
अविनाश जी,
चिट्ठकारी की भटकती आत्मा है।
कभी चैट पर तो कभी फोन पर,
कटोरा लिये मिल जाते है।
बाबा एक टिप्पणी का सावल,
कहते हुये मिल जाते है।।
यहाँ चार महीनों में पांच पोस्टें ठेलकर हर कोई खुद को वाचस्पति और शास्त्री समझने लगता है.
सब नेटवर्किंग का कमाल है. अपने हाथपैर यहाँ वहां नहीं मारें तो इनके ब्लौग पर एक कुत्ता भी न जाये.
एक ये नई छोकरी आई है जो अपने जिस्म को एक्सप्लोर करने में लगी हुई है.
कहने को ये नई ब्लौगर है पर हरकतें इसकी पूरी घाघ ब्लौगरोंवाली हैं.
इसकी घटिया कविताओं पर हर कोई आह और वाह कर रहा है.
इसी का नाम हिंदी ब्लौगिंग है.
आज बरी देर ्र दी
हम लोग तो ताक में बेथे थे कि कब तुम लिखो ओर हम नापसंद चटका मारे
अविनाश का नुक्कर था, अविनाश का मन किया तो तुम्हें बुला लिया, अब मन फिर गया तो भगा दिया
इसमें रोने की क्या बात है? इस पर ब्लौग लिख कर अपना और दूसरों का समय बरबाद कर रहे हो
आपका पोस्ट पढ़ा, आगे भी आपके पोस्ट्स का इंतजार रहेगा।
कमाल की बात है? उन्हीं से पूछ रहे हो सम्मानित ब्लौगर हैं क्या?
डाल दिया न उन्हें उलझन में?
ना वे कह नहीं सकते और हाँ कहने लायक वे हैं नहीं.
.
.
.
प्रिय नीशू,
'नुक्कड़' ब्लॉग के Administrator ने यदि वाकई ऐसा किया है तो हम सबके लिये कोई अच्छा संकेत नहीं...
हद है! अपने नाम से टिप्पणी देने तक में डर रहे हैं लोग... इन पर क्या कहा जाये?
'असहमति का विरोध करते हुए भी सम्मान'... न जाने कब सीखेंगे हम लोग!
आभार!
हटा दिया तो हटा दिया,
जिनका ब्लौग है वही ये तै करेंगे कि कौन ब्लौग में रहेगा कौन नहीं
इसमें बुरा संकेत क्या है?
I will not support you any more , kabhi kehte ho sanghathan mein nahin rehna hai, chaaploosi pasand nai hai, ab ro rahe ho ki nukkad se nikal diya gaya ,ye sab tumhein MITHILESHDUBEY sikha raha hai n . vo to chaata hee hi ki tumhein sab gaalyin de.
nukkad bhee to ek community blog hai means a sangathan .
nishu , it might appears that these types of post, to write with my name or to write with the mane of mr.avinash, get you readers for a time being . but overall these stratgies will not work for long .
keep blogging , not slogging .
यदि आप किसी संगठन से सहमत नहीं है तो उसमे शामिल मत होईये | लेकिन संगठन का बनना आपके चाहने या ना चाहने पर निर्भर नहीं करता | जो संगठन बनाना चाहते है आप उन्हें किसी भी तरह से रोक नहीं सकते |
मैं वामपंथ को पसंद नहीं करता , कुछ लोग राष्ट्रिय स्वयम सेवक संघ को पसंद नहीं करते तो क्या वे अपने संगठन बंद कर देंगे ?
रही बात आपको नुक्कड़ से हटाने की यदि आपकी अविनाश जी के साथ कोई वैचारिक मतभेद है तो उन्हें उस ब्लॉग का मोडरेटर होने के नाते पूरा हक़ कि वे आपको बिना किसी सुचना के वहां से हटा दें | कोई भी नहीं चाहेगा कि एक विपरीत विचारधारा का व्यक्ति अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए उसके प्लेटफार्म का इस्तेमाल करे |
आप अपने विचार प्रकट करने के लिए स्वतंत्र है जिन्हें अपने ब्लॉग पर प्रकट कर सकते है |
@ रतन जी,
आपके संगठन सम्बन्धित बातो से मै पूर्ण सहमत हूँ, किन्तु इस बात का मै कतई समर्थन नही करूँगा कि माडरेटर होने के नाते यह अधिकार नही मिल जाता कि किसी को अकारण हटा दिया जाये, वैचारिक मतभेद होना अलग बात है और मनभेद होना अगल, वैचारिक मतभेद के बाद भी लोग मिलते जुलते बैठते है।
नुक्कड का कोई अपना ऐजेन्डा नही है जिसको पढ़ कर कोई शामिल होने अथवा न होने के सम्बन्ध निर्णय ले सकें। अगर किसी कम्यूनिटी ब्लाग के माडरेटर की मर्जी ही उसका ऐजेन्डा है जो आप सही हो और आप बधाई के पात्र हो कि ऐसे लोगो का समर्थन करते हो।
हम कम्यूनिटी ब्लाग चलाते है और हमारी नीति स्पष्ट है, भले ही कोई पोस्ट हो अथवा न करे,किसी को हटाने की बात ही सामने आयी।
ब्लाग के हटाना या न हटाना कोई बड़ी बात नही है किन्तु गलत तरीके से हटाना बो गलत बात है, इसकी सर्वथा निन्दा की जानी चाहिये।
Neeshoo tum sangharsh karo
Hum tumhaare saath hain.
Aapki agli post ka intaezaar hai.
एक बात नीशू जी आपसे आप अपनी बात और अच्छी तरह से कह सकते थे।
इससे पहले हक बात के सलिम अख्तर को लखनऊ ब्लागर एसोसिएशन वाले सलिम खान ने अंजुमन से इमेल से बता कर हटाया था तव भी ब्लौगर ने इस बात को गलत बताया था, आदर्नीय द्विवेदी जी ने भी इस पर पांच कुएस्तिओन मार्क्स लगाये थे।
निसु को तो बिना नोटिस दिये, बिना सूचित किये हटा दिया गया है, ये गलत है
ये तो देखो कि कितने इनके ब्लॉग हैं
अविनाश जी चिट्ठाकारी की आग हैं
हिंदी ब्लोगिंग के शहंशाह हैं
कभी ख़ुशी तो कभी आह हैं
अविनाश जी करते हैं सम्मलेन
उनसे इसीलिए लोग जलते हैं
जल-जल कर बर्फ की तरह गलते हैं
हिंदी की सेवा करने वाले सच्छे इंसान हैं
ब्लागरों के बीच में वे हिमालय सामान हैं
सूरज पर थूकने से थूक तुम्हारे ही मुंह पर गिरेगा
तुम चाहे जितन आलोचना करो
वो बंदा चुपचाप अपना काम करेगा
और गीदड़ों के बीच शेर की तरह फिरेगा
नीशू सर मैं इस मामले में आपके साथ हूं। चाहे आपका अपना साया भी साथ छोड़ जाए पर मैं ऐसा नहीं करने वाली हूं। जो मुझे पसंद आया है। जिसके विचार मुझे सच्चे लगते हैं। मैं उसी के साथ रहूंगी, चाहे जमाना कुछ भी कहे। एक बार अविनाश सर ने मेरी मदद कर दी है, इसका मतलब यह तो नहीं है कि मैं उनके सुर में सुर मिलाऊं। लोग उन्हें शेर और तुम्हें गीदड़ बतला रहे हैं। जबकि मुझे लगता है कि तुम्हीं एक शेर हो, एक मर्द हो, जो मेरे ब्लॉग पर भी नहीं आए हो। खैर ... मुझे आप अच्छे लगे तो मैंने सोचा कि अपनी भावना आप तक पहुंचा दूं। आप अगर अपना नंबर दो तो मैं आपसे बात करना चाहूंगी। आपके मूंछें नहीं हैं तो क्या, बिना मूंछ के भी तो मर्द होते हैं। मुझे तो ऐसे ही मर्द पसंद हैं। मैं अपनी अगली कविता आपको ही समर्पित करूंगी। अगर नंबर दोगे तो बात कर लूंगी, नहीं तो सीधे समर्पित कर दूंगी। मैं किसी की परवाह नहीं करने वाली।
नहीं अब कोई नहीं बोलेगा, क्योकिं सच्चाई जो सामने आ गयी है और गुटबाजी भी साफ दिख रही है ,कुछ भी हो इस तरह की घटना निंदनीय है ,कम से कम ऐसा कुछ करने से पहले सूचना जरुर देंनी चाहिए , इसका विरोध उचित है और अविनाश जी को जवाब देना ही चाहिए इस मामले पर ,क्या भरोशा कि कल को ये घटना हमारे साथ ना हो, भाई मैं भी इनके ब्लोग तेताला का सदस्य हूँ।
अविनाश जी का यह कदम उचित प्रतीत नहीं होता. अविनाश जी एक सम्मानित ब्लॉगर हैं. उन्होंने हाल ही में सम्मलेन भी करवाया है. उन्हें अपने इस कदम के लिए वक्तव्य जारी करना चाहिए. कुछ मायनों में यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला दबाना प्रतीत होता है. नीशू जी, आप बेलाग लिखते रहें. अब तो पलक जी भी आपके साथ हैं.
इस निर्भीक अभिव्यक्ति के लिए आपको बधाई.
और मिथिलेश जी से शत-प्रतिशत सहमत. मिथिलेश जी आपको भी इस निर्भीक अभिव्यक्ति के लिए बधाई.
वाह भाई. अब तो पलक का साथ भी मिल गया है. अब पलक लिखवायेगी अपने उभारों पर नई कवितायेँ.
Dear one
I found a lot of discussion on Individuals rather than blogging at this post. the question which one is being raised by the author itself ?
?????////////////?????????????
यदि अविनाश वाचस्पति ने एसा किया है तो घिनौनी हरकत की है..
लेकिन आप पहले उनसे व्यक्तिगत ईमेल द्वारा पता करलें कि उन्होंने आपको वहां से हटाया भी है या गूगल में कहीं कोई तकनीकी खराबी तो नहीं..
अविनाश वाचस्पति की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा है...
@ पलक जी और बेनामी जी .......जिसने मेरा साथ दिया और जिसको मेरा साथ पसंद नहीं आया .....सबको धन्यवाद .........पर एक समय आएगा की जब आपको सामने आकर अपनी बात कहनी होगी .............और रतन शेखावत जी से बस इतना कहना है की कम से कम बता कर कोई कारवाई करते तो क्या हो जाता अविनाश को ? पर अब तो आप लोग ही जाने की क्या सही क्या गलत .................
@ मिथिलेश जी और प्रमेन्द्र जी .........आपने अपने विचार रखे ............अच्छा लगा ..............बाकि ब्लोगिंग से जिसदी नयी जानकारी आज होने वाली है........किसी से डरना कैसा ?
@ खुला न बंद पत्र ........सीधे विरोध
आजकल मठाधीशी का चस्का जो लगा है .................ब्लोगर सम्मेलन करा कर लोगों को गुटबाजी के लिए तैयार जो करना है . इनके बाप की बपौती है न ब्लोग्गर समूह ................और बेनामी की जहाँ तक बात है तो ...........अजय झा , खुशदीप ,,,अविनाश वाचस्पति कुछ ऐसे नाम हैं जिनको सबसे ज्यादा चिंता कमेन्ट का .........और यही बेनामी भी हैं ............कारवाई करते क्यूँ नहीं अब मैंने तो कहा है की सम्मन का मुझे इन्तजार है......मुझे नुक्कड़ से हटाया गया ..........पर अविनाश वाचस्पति में दम नहीं की अब चिल्लाकर कर बताएं की मैंने नीशू को क्यूँ हटाया है....अब तो कलम का जवाब कलम से , कानून का जवाब कानून से और लात का जवाब लात से .................मैंने अब गांधीगिरी को अलविदा कह दिया है... अब जरुरत है...भगत सिंह जैसे विचारो की ...इनको ऐसे ही सुधार जा सकता है ...और एक पाबला जी हैं जो धमकी दे रहे थे पर कुछ पता नहीं चला .............कुत्तों की तरह केवल भौकना जानते हैं ...बेनामी से नहीं नाम से कहूँगा ........जो भी बन पड़ता हो कर लें ....
betaa neeshoo
jis raste par tum chal rahe ho vo gaharee khaai mai jaataa hai.
shaabaas mithlesh, tumse yahee ummeed thee. khoob unche ud rahe ho betaa
hari sharma ji .......ghee me aag lagne aagaye na ............mai khaee me ja rha hun aur aap kaha ja rahe hai ....sammelan karne ya mathadishi karne ..............ya koi nya gut bnane .......
@ hari sharma ji aapko kisne bula liya jo khisiyaye cahle aaye haan
@ hari sharma ji aapko kisne bula liya jo khisiyaye cahle aaye haan
IS GOOT KO INKI AUKAAT BATANA JARURI
HAI
नीशू सर शानदार। तालियां नीशू सर के लिए। अब चाहे सिर भी फूट जाए पर अपनी बात से मत हटना नीशू सर। मैं आज आपके इस बुलंद हौसले के सम्मान में अपनी एक पोस्ट आपको समर्पित कर रही हूं कविता के जरिए। मिथिलेश सर भी मुझे जाबांज लगे। नीशू सर अपना नंबर दीजिए। मिथिलेश सर अपना नंबर दीजिए। मैं आपको फोन करके शाबाशी देने के लिए बेचैन हूं।
जाने क्या बकवास लिखते रहते हैं
चमचे लोग वाह वाह करते रहते हैं
इतने निचले का लेखन यह गुट ही कर सकता है
जन्मदिन मुबारक,वर्षगाँठ मुबारक
इसके अलावा भी पावला कुछ लिखना जानता है क्या?
एक और सतीश सक्सेना-१०० रु देकर अपने को दानवीर समझता है
वाह री किस्मत कैसे कैसे लोगो से पाला पड़ा है.
दो और नाम रह गए इस खास गुट के
खुश दीप लगता है इन श्रीमान को तो कोई काम ही नहीं है और समीर लाल गिद्ध वाली बकवास कविता
लिख कर चमचों से वाह वाही लेने वाले
mujko ye bat smajh me hahi aa rhi hai kya kishi bhi chij ko aishe tu pkdana uchit hai kya rcnakar bhi rajniti karne lage hai asbhay bhasha ka prayog krna uchit hai
agar ap logo ko lgta hai to ap log karwai kyo nahi karte keval bathi karve me mahir hai aur avinash ji main keval ap se puchhanaa chahta hu ki jab bina jankari ke nikalnahi hai kisi ko to apne bulaya hi kyo
agar koi nishant ke sath hai to us pr aisi byanbaji
Post a Comment