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Saturday, May 29, 2010

आँधियों से कह दो औकात में रहा करे .............(धमकी नही करवाई करें )...............मैं करता हूँ ब्लोगिंग में संगठन का विरोध

"साख से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम

आँधियों से कह दो औकात में रहा करे "..
ये इस लाइन को सुनकर , पढ़ कर मेरा हौसला बढ़ता है....वैसे भी खुद का आत्मविश्वास होना जरुरी है....मुझको ब्लोगर कुछ भी कहे पर मैं जो भी लिख रहा हूँ ....उस पर कायम हूँ ...........हाँ कुछ लोगो को बुरा लगे तो लगे ...और बुरा लगने का कारन वो सबसे बेहतर जानते हैं ....मैं तो बुरा हूँ ..बुरा लिखता हूँ . पर जो अच्छा लिखते है आज उनसे बस एक सवाल की .............जब खुद को बौधिक छमता का धनी मानते हो तो फिर मेरे द्वारा विरोध का डर क्यूँ ? आखिर आपने खुद ही कहा फिर मेरी बात की क्या महत्ता ? फिर भी इस तरह प्रतिशोध  की आग में जलना क्यूँ?     अरे हाँ दुसरे से भी कुछ न कुछ  लिखवा लो ? फिर भी मुझे जो कहना हैं ...कहूँगा ही ....अपनी मदमस्त चाल  से चलना ही मेरा काम है....वैसे भी किसी के मान सम्मान को जब ठेस पहुँच रही है ( हाँ भाई सम्मानित तो होगें ही जब इतने सारे कठमुल्ले हाँ में हाँ मिलाने को हैं ) तो वह केवल धमकी ही क्यूँ देते हैं ? ....जहाँ जाना  हैं जाएँ ना ...मना किस ने किया है? वैसे भी जब बात संविधानिक प्रक्रिया तक आएगी तो कलई खुद बखुद ही खुल के सामने आएगी .........कोई जातिगत .......या आपसी बैर के वशीभूत मैंने किसी को नहीं लिखा है ..बाकि अगर किसी को ऐसा लगता है तो वह स्वविवेक से क़ानूनी करवाई  करने को स्वतंत्रत है....
और जब बात असभ्य भाषा तक आ गयी है तो कुछ भी कहो न ?  गाली भी दे ही रहे हो ...........इसमें आपका ही सम्मान झलकता है?........मुझे तो गालियों से जिस तरह नवाजा जा रहा है वह काबिले तारीफ है .....
मैंने ब्लॉग पर जो भी लिखा उसको शायद समझने या समझाने में मैंने गलती की ............ बात सगठन की हुई तो इस पर मैंने विरोध दर्ज कराय .........क्या यह गलत है ?????????...हम बात करते संगठन की .....आखिर किस लिए आज आवश्यकता आ गयी ..संगठन की ..........कुछ मुट्ठी भर ब्लोगर की राय ली जाये बाकि और बलोगर की राय क्यूँ नहीं ली गयी ...या फिर खुद ही मठाधीश बनने की इच्छा है ? अगर ऐसा नहीं तो फिर वजह क्या आन पड़ी ? ......
मेरा अपना राग है जिसे मैं अपने दम पर अलाप रहा हूँ ...ज्सिको अच्छा लगे सुने या न सुने ........बाकि बेनामी कोई बाहर  का नहीं है ..क्यूँ न नकाब उतार कर सामने लाया जाये ...........और अगर किसी को मेरा नाम लेकर कहना है तो कहे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता ..........क्यूँ की  मैं किस किस का मुह बंद  करूँगा  ......अपनी जुबान है चाहे गाली  दो या ...........कुछ और .................जायेगा आपका ही ...............गाँधी जी की बात उन  ब्लोगर के लिए जो सामने आ कर नहीं बोल सकते हैं बेनामी स ेगाली देते हैं ......................" की आपने जो दिया मैंने उसको लिया ही नहीं ................शब्द कम .......खुद ही समझो 

4 comments:

निशांत मिश्र - Nishant Mishra said...

खतरनाक पोस्ट है! कट लो भैये!
क्या पता कब कोर्ट से सम्मन आ जाए!

ananad banarasi said...

nishant ji main keval ak bat hi bolugabate aksar jinda logo ki hoti hai murdoki kaun bat kiya krta hai
ap jo bhi likhte hai vo jvalant hota hai

main ap ko bolunga ap ke virodh ka ye aser hai

मिलकर रहिए said...

मेरे नए ब्‍लोग पर मेरी नई कविता शरीर के उभार पर तेरी आंख http://pulkitpalak.blogspot.com/2010/05/blog-post_30.html और पोस्‍ट पर दीजिए सर, अपनी प्रतिक्रिया।

Saleem Khan said...

टॉप 40 ट्रेजेडी किंग्स पर धावा बोलने का सुअवसर; अब वक़्त ट्रेजेडी किंग्स का नहीं अंगरी यंग मैन्स का है... हल्ला बोल !!!